दो दर्जन से अधिक नर्सिंग कॉलेजों की याचिकाएं खारिज, हाईकोर्ट ने लगाई भारी कॉस्ट, देखें क्या है मामला | Petitions of more than two dozen nursing colleges rejected High court imposed heavy cost See what's the matter

दो दर्जन से अधिक नर्सिंग कॉलेजों की याचिकाएं खारिज, हाईकोर्ट ने लगाई भारी कॉस्ट, देखें क्या है मामला

दो दर्जन से अधिक नर्सिंग कॉलेजों की याचिकाएं खारिज, हाईकोर्ट ने लगाई भारी कॉस्ट, देखें क्या है मामला

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:46 PM IST, Published Date : May 12, 2020/6:53 am IST

ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने 25 नर्सिंग कॉलेजों की याचिका पर फैसला सुनाया है। जिसमें सभी कॉलेजों पर 1-1 लाख रुपये का हर्जाना लगाया है। हर्जाने की 50 फीसदी राशि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री केयर फंड में जमा की जाएगी। 50 फीसदी राशि से हाईकोर्ट स्थित डिस्पेंसरी का विकास किया जाएगा। उच्च न्यायालय ने कॉलेजों की याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट से नर्सिंग कॉलेजों को कोई राहत नहीं मिल सकी। इन कॉलेजों ने छात्रों की परीक्षा कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं।

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दरअसल अंचल के आधा सैकड़ा से अधिक कॉलेजों में जीएनएम (जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी), पोस्ट बेसिक नर्सिंग व एमएससी के कोर्स को मान्यता नहीं थी। फिर भी कॉलेजों ने छात्रों को एडमीशन दिया था। इन कॉलेजों ने छात्रों की परीक्षाएं कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं। छात्र हित में परीक्षाएं कराए जाने की मांग की थी। इसके अलावा कुछ कॉलेजों ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिकाएं दायर की थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के सामने कॉलेजों का झूठ सामने आने पर याचिका वापसी का आवेदन दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने नर्सिंग कॉलेज की याचिकाओं का 2 लाख के हर्जाने के साथ निराकरण किया था। नर्सिंग काउंसिल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी भी दी।

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शासन की तरफ से कहा गया था कि 2018 से पहले नर्सिंग कॉलेजों को ऑल इंडिया नर्सिंग काउंसिल ने मान्यता दे थी, लेकिन 2018 से मान्यता का अधिकार मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल को दिया है। कॉलेजों को मान्यता देने के लिए एमपी ऑन लाइन के माध्यम से आवेदन मांगे थे। इन कॉलेजों ने मान्यता लेने के लिए प्रक्रिया का पालन नहीं किया था। दस्तावेज सही नहीं थे। कॉलेजों के पास 100 बिस्तर का अस्पताल भी नहीं था। इस वजह से मान्यता नहीं दी है। इन्हें छात्रों के प्रवेश का अधिकार नहीं था, फिर भी छात्रों को प्रवेश दिया गया। हाईकोर्ट में 24 व 27 फरवरी को बहस हो गई थी। इन याचिकाओं पर कोर्ट को फैसला सुनाना था। लॉकडाउन की वजह से कोर्ट बंद था। इस दौरान इन याचिकाओं का फैसला लिखा गया और अब सुना दिया गया है। सभी कॉलेजों पर 1-1 लाख रुपये की कॉस्ट लगाई है। अगर कॉलेज कॉस्ट का पैसा 30 दिन में पैसे जमा नहीं करते हैं तो फिर से याचिकाएं सुनवाई के लिए लिस्ट की जाएंगी।