इंदौर: जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की तबीयत उस समय बिगड़ गई, जब कलेक्टर ने उन्हें समीक्षा बैठक में फटकार लगाई। तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें चेकअप के लिए मेदांता अस्पताल ले जाया गया। कलेक्टर सीएमएचओ की कार्यप्रणाली से नाराज चल रहे थे। बता दें कि इससे पहले भी कार्य में लापरवाही को लेकर उन्होंने सीएमएचओ को फटकार लगाईं थी।
मिली जानकारी के अनुसार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ प्रवीण जड़िया की कार्यप्रणाली को लेकर इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह पिछले कई दिनों से नाराज चल रहे थे। कोरोना काल में भी उनके कार्य को लेकर कलेक्टर नाराजगी जाहिर कर चुके थे। वहीं, सोमवार को हुई समय सीमा बैठक में भी कलेक्टर ने सीएमएचओ डॉ प्रवीण जड़िया को फटकार लगाते हुए कहा था कि आप काम नहीं कर सकते, तो अपना ट्रांसफर किसी अन्य जिले में करा लें।
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मंगलवार को हुई समीक्षा बैठक में भी डॉ जड़िया खाद्य एवं ओषधि विभाग के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब नहीं दे पाए, जिसके चलते वो फिर कलेक्टर के निशाने पर थे। उन्होंने भरी बैठक में डॉ जड़िया को यूजलेस तक कहा। समीक्षा बैठक में जब दूसरी बार डॉ जड़िया के कार्य को लेकर सवाल किये गए, तब भी संतोषजनक जवाब नहीं देने पर कलेक्टर ने उन्हें फटकार लगाईं। इसके बाद डॉ जड़िया की तबीयत अचानक बिगड़ गई, तबीयत बिगड़ते ही उनके विभाग के मेडिकल अधिकारियों ने डॉ जड़िया को संभाला इस बीच जड़िया के आँखों से आंसू भी निकल गए। बीपी बढ़ने के बाद उन्हें चेकअप के लिए मेदांता अस्पताल ले जाया गया, जहां ईसीजी और अन्य जांच की गई।
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वहीं, जब डॉ जड़िया की कार्यप्रणाली के बारे में मनीष सिंह से पूछा गया तो उनका कहना था कि वो व्यक्ति अच्छे हैं, लेकिन उनकी कार्यप्रणाली ठीक नहीं है। स्वास्थ्य के साथ ही अन्य कुछ विभाग है, जो सीधे जनता से जुड़े हैं, जिसके वो जिला अधिकारी हैं। एक जिला अधिकारी को जवाबदार रहना चाहिए।
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