लोकसभा चुनाव में 8,360 उम्मीदवार; 1996 के बाद सबसे अधिक उम्मीदवार मैदान में |

लोकसभा चुनाव में 8,360 उम्मीदवार; 1996 के बाद सबसे अधिक उम्मीदवार मैदान में

लोकसभा चुनाव में 8,360 उम्मीदवार; 1996 के बाद सबसे अधिक उम्मीदवार मैदान में

:   Modified Date:  May 22, 2024 / 06:38 PM IST, Published Date : May 22, 2024/6:38 pm IST

नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) लोकसभा चुनाव में इस बार कुल 8,360 उम्मीदवार मैदान में हैं। आधिकारिक आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 1996 के संसदीय चुनावों के बाद सबसे अधिक उम्मीदवार इसी बार के चुनाव में आमने-सामने हैं।

लोकसभा की 543 सीटों के लिए 2019 के चुनावों में 8,039 उम्मीदवार मैदान में थे और 1996 में रिकॉर्ड 13,952 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था।

साल 2024 के आम चुनाव सात चरणों में हो रहे हैं। इनमें पांच दौर का मतदान पूरा हो चुका है। छठे और अंतिम चरण के तहत क्रमशः 25 मई और 1 जून को मत डाले जाएंगे। मतों की गिनती 4 जून को होगी।

चौथे चरण में 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) की 96 संसदीय सीटों पर 13 मई को मतदान संपन्न हुआ था। इस चरण में सबसे अधिक 1,717 उम्मीदवार मैदान में थे।

निर्वाचन आयोग (ईसी) के आंकड़ों के अनुसार, 19 अप्रैल को आयोजित पहले चरण में 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 102 सीटों पर 1,625 उम्मीदवार थे।

दूसरे चरण में 26 अप्रैल को 13 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की 89 सीटों पर 1,198 उम्मीदवार थे जबकि सात मई को तीसरे चरण में 12 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की 94 सीटों पर 1,352 उम्मीदवार थे और पांचवें चरण में 20 मई को आठ राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की 49 सीटों पर 695 उम्मीदवार थे।

आयोग के आंकड़ों के अनुसार, आगामी छठे और सातवें चरण में 25 मई और एक जून को क्रमश: 869 और 904 उम्मीदवार मैदान में हैं। सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 57 निर्वाचन क्षेत्रों में क्रमश: 25 मई और एक जून को मतदान होगा।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या 1952 में जहां 1,874 थी, वह 2024 में चार गुना से अधिक बढ़कर 8,360 हो गई है। साल 1952 में देश में पहली बार आम चुनाव हुए थे। अब प्रति निर्वाचन क्षेत्र उम्मीदवारों की औसत संख्या 4.67 से बढ़कर 15.39 हो गई है।

वर्ष 1977 में छठे लोकसभा चुनावों के अंत तक औसतन प्रति लोकसभा सीट केवल तीन से पांच उम्मीदवार हुआ करते थे, लेकिन पिछले चुनावों में देश भर में प्रति निर्वाचन क्षेत्र में 14.8 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे।

पिछले कुछ वर्षों में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की कुल संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, साल 1952 में 489 सीटों के लिए 1,874 उम्मीदवारों के साथ प्रति निर्वाचन क्षेत्र 3.83 प्रत्याशी थे तो 1971 में यह संख्या बढ़कर 2,784 हो गई, जिसका औसत 5.37 प्रति निर्वाचन क्षेत्र था।

साल 1977 में, 2,439 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा और प्रति निर्वाचन क्षेत्र औसत 4.5 था। आंकड़ों से पता चलता है कि 1980 के चुनावों में 8.54 प्रति सीट के औसत के साथ उम्मीदवारों की संख्या बढ़कर 4,629 हो गई।

वर्ष 1984-85 के आठवें आम चुनाव में प्रति निर्वाचन क्षेत्र औसतन 10.13 उम्मीदवारों के साथ 5,492 उम्मीदवार थे।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 1989 में नौवें आम चुनाव में प्रति लोकसभा सीट 11.34 के औसत के साथ 6,160 उम्मीदवार मैदान में थे, जबकि 1991-92 में 10वें आम चुनावों में 8,668 उम्मीदवारों ने 15.96 प्रति सीट के औसत के साथ 543 सीटों के लिए चुनाव लड़ा।

आंकड़ों के मुताबिक, 1996 में 543 लोकसभा सीटों के लिए रिकॉर्ड 13,952 उम्मीदवार मैदान में थे, जबकि प्रति सीट औसत उम्मीदवार 1991 के पिछले चुनावों के 16.38 की तुलना में बढ़कर 25.69 हो गया।

आयोग द्वारा जमानत राशि 500 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये किए जाने से जाहिर तौर पर 1998 के लोकसभा चुनावों में प्रति सीट उम्मीदवारों की संख्या कम हो गई और यह प्रति सीट 8.75 हो गई।

साल 2004 में, 543 लोकसभा सीटों के लिए 5,435 उम्मीदवारों के साथ उम्मीदवारों की संख्या फिर से 5,000 का आंकड़ा पार कर गई और प्रति सीट औसतन 10 से अधिक दावेदार मैदान में आए।

साल 2009 के आम चुनावों में 8,070 उम्मीदवार थे। इससे प्रति सीट उम्मीदवारों का औसत बढ़कर 14.86 हो गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल 8,251 उम्मीदवार मैदान में थे।

भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)