Advance application facility to Make Voter ID Card for 17+ year youngsters

अब इस उम्र में भी बनवा सकेंगे वोटर ID कार्ड, भारत निर्वाचन आयोग ने जारी किया निर्देश

अब इस उम्र में भी बनवा सकेंगे वोटर ID कार्ड! Advance application facility to Make Voter ID Card for 17+ year youngsters

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:39 PM IST, Published Date : July 29, 2022/4:01 pm IST

नई दिल्लीः  Make Voter ID Card 17+ वर्ष के युवा अब मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने के लिए अग्रिम रूप से आवेदन कर सकते हैं और इसके लिए उन्हें किसी वर्ष की 1 जनवरी को 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने के पूर्वापेक्षित मानदंड की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पाण्डेय के नेतृत्व में भारत निर्वाचन आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ)/निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों (ईआरओ)/सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों (एईआरओ) को इस तरह के प्रौद्योगिकी-सक्षम समाधान तैयार करने के निर्देश दिए हैं कि युवाओं को न केवल 1 जनवरी को बल्कि तीन पश्चातवर्ती अर्हक तिथियों अर्थात 01 अप्रैल, 01 जुलाई और 01 अक्टूबर के संदर्भ में भी अपने अग्रिम आवेदन दाखिल करने की सुविधा मिल सके। अब से, निर्वाचक नामावली प्रत्येक तिमाही में अद्यतन की जाएगी और पात्र युवाओं को उस वर्ष की अगली तिमाही में पंजीकृत किया जा सकता है जिसमें उन्होंने 18 वर्ष की पात्रता आयु पूरी कर ली हो। पंजीकरण करवाने के बाद उन्हें निर्वाचक फोटो पहचान पत्र (एपिक) जारी किया जाएगा। निर्वाचक नामावली, 2023 के वार्षिक पुनरीक्षण के चालू राउंड के लिए वर्ष 2023 के 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर तक 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाला कोई भी नागरिक मतदाता के रूप में पंजीकरण के लिए निर्वाचक नामावली के प्रारूप प्रकाशन की तारीख से अग्रिम आवेदन जमा कर सकता है।

Make Voter ID Card “दूसरे शब्दों में, अग्रिम आवेदन 9 नवंबर 2022 को, यानि वह तारीख जब प्रारूप निर्वाचक नामावली प्रकाशित की जाएगी या उसके बाद जमा किया जा सकता है।” लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 14(ख) में विधिक संशोधनों और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम, 1960 में किए गए परिणामी संशोधनों के अनुसरण में, भारत निर्वाचन आयोग ने विधानसभा/संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की निर्वाचक नामावली को तैयार करने/उसका पुनरीक्षण करने के लिए आवश्यक परिवर्तन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। स्मरण रहे कि भारत निर्वाचन आयोग की अनुशंसा पर, विधि एवं न्याय मंत्रालय ने हाल ही में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन किया है, जिसमें निर्वाचक नामावलियों में युवाओं के लिए पंजीकृत होने की पात्रता के लिए केवल 01 जनवरी की पूर्ववर्ती सिर्फ एक अर्हक तिथि की पुरानी व्यवस्था के उलट चार अर्हक तिथियों अर्थात 01 जनवरी, 01 अप्रैल, 01 जुलाई और 01 अक्तूबर का उपबंध किया गया है।

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मौजूदा नीति के अनुसार, अर्हक तिथि के रूप में आने वाले वर्ष की पहली जनवरी के संदर्भ में निर्वाचक नामावलियों का पुनरीक्षण सामान्यतया सभी राज्यों/संघ राज्य-क्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष के उत्तरवर्ती भाग में (सामान्यतः वर्ष की अंतिम तिमाही में) किया जाता था ताकि निर्वाचक नामावलियों का अंतिम प्रकाशन उत्तरवर्ती वर्ष की जनवरी के प्रथम सप्ताह में किया जा सके। इसका अर्थ यह हुआ कि 1 जनवरी के बाद बड़ी संख्या में 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले युवाओं को नामांकन के लिए अगले वर्ष के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण की प्रतीक्षा करनी पड़ती थी और वे बीच की अवधि में हुए चुनावों में भाग लेने में सक्षम नहीं हो पाते थे। आयोग ने पंजीकरण प्ररूपों को भी प्रयोक्ता के लिए और अधिक अनुकूल तथा सरल बना दिया है। नव- आशोधित प्ररूप 1 अगस्त, 2022 से लागू होंगे। 01 अगस्त, 2022 से पहले पुराने प्ररूपों में प्राप्त सभी आवेदनों (दावे और आपत्तियां) पर कार्रवाई की जाएगी और इनका निस्तारण किया जाएगा तथा ऐसे मामलों में नए प्ररूपों में आवेदन दाखिल करने की जरूरत नहीं है।

आयोग ने मतदान होने वाले राज्यों को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में अर्हक तिथि के रूप में 01.01.2023 के संदर्भ में वार्षिक संक्षिप्त पुनरीक्षण का आदेश दिया है। पुनरीक्षण-पूर्व सभी गतिविधियां आयोग के मौजूदा अनुदेशों और दिशानिर्देशों तथा निर्वाचक नामावली मैनुअल, 2016 और मतदान केंद्र मैनुअल, 2020 के अनुसार की जाती हैं। पुनरीक्षण और पुनरीक्षण-पूर्व गतिविधियां इस तरह से की जाती हैं कि निर्वाचक नामावलियां अंतिम रूप से राष्ट्रीय मतदाता दिवस (प्रत्येक वर्ष की 25 जनवरी) से काफी पहले प्रकाशित की जा सकें ताकि नए निर्वाचकों विशेषकर युवा मतदाताओं (18-19 वर्ष) के लिए तैयार एपिक राष्ट्रीय मतदाता दिवस (एनवीडी) के अवसर पर समारोह में उन्हें वितरित किए जा सकें। पुनरीक्षण-पूर्व गतिविधियों में मतदान केंद्रों का युक्तीकरण/पुनर्निधारण; समान नाम वाली प्रविष्टियों (Demographically Similar Entries) / समान फोटो वाली प्रविष्टियों (Photo Similar Entries) की विसंगतियों को दूर करना और 01.10.2022 की अर्हक तिथि के रूप में संदर्भ में पूरक एवं एकीकृत प्रारूप नामावली तैयार करना शामिल है। आयोग ने पुनरीक्षण-पूर्व कार्यकलापों के वर्तमान चरण के दौरान यह सुनिश्चित करने हेतु निर्देश दिया है कि डीएसई/पीएसई को निर्वाचक नामावली से 100% हटाए जाने और एपिक में विसंगतियों को दूर करने के लिए सभी प्रयास किए जाएं।

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नवंबर में शुरू होने वाले पुनरीक्षण कार्यकलापों में एकीकृत प्रारूप निर्वाचक नामावली के प्रकाशन के बाद प्राप्त दावों और आपत्तियों का निपटान किया जाना शामिल है। विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण के तहत, प्रारूप निर्वाचक नामावली में दावे और आपत्तियां दाखिल करने के लिए एक माह की अवधि उपलब्ध है। मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) द्वारा सप्ताहांतों पर विशेष शिविर आयोजित किए जाएंगे, जिसके लिए संबंधित सीईओ द्वारा तारीख का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। अंतिम निर्वाचक नामावली 5 जनवरी, 2023 को प्रकाशित की जाएगी।

मतदान केंद्र युक्तीकरण

वार्षिक संक्षिप्त पुनरीक्षण के भाग के रूप में, 1500 से अधिक निर्वाचकों वाले मतदान केन्द्रों को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार और ‘मतदान केंद्र मैनुअल, 2020 में निहित अनुदेशों के अनुसार प्रारूप निर्वाचक नामावलियों के प्रकाशन से पहले युक्तिसंगत बनाया/आशोधित किया जाएगा। कोई नया मतदान केंद्र, सटे हुए मतदान केंद्रों के खंडों को यथासंभव सीमा तक युक्तिसंगत बनाने के बाद ही बनाया जाएगा। मतदान केंद्रों को युक्तिसंगत बनाने के अन्य उद्देश्य परिवार के सभी सदस्यों और पड़ोसियों को एक खंड में समूहबद्ध करना है।

एपिक को आधार से जोड़ना

आधार संख्या को निर्वाचक नामावली डाटा से जोड़ने के लिए, निर्वाचकों के आधार संबंधी विवरण मंगवाने के लिए आशोधित पंजीकरण प्रपत्रों में प्रावधान किया गया है। मौजूदा निर्वाचकों की आधार संख्या के संग्रहण के लिए एक नया प्रपत्र-6ख भी शुरू किया गया है। तथापि, किसी व्यक्ति द्वारा आधार संख्या नहीं देने या सूचित नहीं करने पर निर्वाचक नामावली में नाम शामिल करने संबंधी किसी भी आवेदन को अस्वीकार नहीं किया जाएगा और निर्वाचक नामावली से कोई प्रविष्टि नहीं हटाई जाएगी।

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इस बात पर जोर दिया गया है कि आवेदकों की आधार संख्या के संबंध में कार्रवाई करते समय, आधार (वित्तीय और अन्य रियायतें, लाभ और सेवाओं का लक्षित परिदान) अधिनियम, 2016 की धारा 37 के तहत दिए गए उपबंध का पालन अवश्य किया जाना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में इसे सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए। यदि निर्वाचकों से संबंधित जानकारी सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करनी अपेक्षित हो, तो आधार विवरण को अनिवार्यतः हटा या ढक दिया जाना चाहिए। मौजूदा निर्वाचकों की आधार संख्या के संग्रहण के लिए दिनांक 01.08.2022 से एक समयबद्ध अभियान शुरू किया जा रहा है। आधार संख्या प्रदान करना, पूरी तरह से स्वैच्छिक है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य निर्वाचकों की पहचान स्थापित करना और निर्वाचक नामावली में प्रविष्टियों को अधिप्रमाणित करना है।

निर्वाचक नामावली से पुनरावृत्त/एकाधिक प्रविष्टियों को हटाना

पुनरावृत्त/एकाधिक प्रविष्टियों को हटाने की विस्तृत प्रक्रिया इंगित की गई है। किन्ही भी नागरिकों, राजनैतिक दलों के बूथ लेवल एजेंटों (बीएलए) अथवा आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधियों द्वारा सूचित पुनरावृत्त/एकाधिक प्रविष्टियों के संबंध में, प्रत्येक मामले में फील्ड सत्यापन अनिवार्य रूप से किया जाता है। निर्वाचक का नाम, निर्वाचक नामावली में से केवल उसी स्थान पर हटाया जाएगा, जहां वह सामान्य रूप से निवास करने वाले स्थान पर नहीं पाया जाएगा।

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त्रुटिमुक्त निर्वाचक नामावली के लिए फील्ड सत्यापन और उच्चाधिकारियों द्वारा जांच (सुपरचेकिंग)

निर्वाचक नामावली की स्थिति में उन्नयन के प्रयोजन से निर्वाचन आयोग ने बूथ स्तर अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा फील्ड सत्यापन की आवश्यकता पर जोर दिया है। निर्वाचन तंत्र के विभिन्न स्तरों जैसे पर्यवेक्षकों, ईआरओ एवं एईआरओ द्वारा फील्ड सत्यापन द्वारा किए गए कार्य की कड़ी जवाबदेही तय करने के लिए पर्यवेक्षण और जांच हेतु एक तंत्र विद्यमान है। इसी प्रकार, दावों और आपत्तियों पर अंतिम निर्णय लेने से पहले ईआरओ द्वारा किए गए कार्य की जांच डीईओ, नामावली प्रेक्षकों तथा सीईओ द्वारा भी की जाती है। इसके अतिरिक्त, और ज्यादा औचक जांच करने तथा पर्यवेक्षण के लिए भारत निर्वाचन आयोग के अधिकारियों तथा सीईओ कार्यालय को भी नियोजित किया जाता है।

सहभागी प्रक्रिया – बूथ लेवल एजेंटों (बीएलए) को शामिल करना

राजनीतिक दलों की अधिकाधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के दृष्टिगत, आयोग ने मान्यताप्राप्त राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंटों (बीएलए) को इस शर्त के अध्यधीन अधिक संख्या (बल्क) में आवेदन दाखिल करने की अनुमति दी है कि एक बीएलए बूथ स्तर अधिकारी (बीएलओ) के पास एक बार/एक दिन में 10 से अधिक प्ररूप (फॉर्म) जमा नहीं करेगा। यदि कोई बीएलए दावों और आपत्तियों को दाखिल करने की सम्पूर्ण अवधि के दौरान 30 से अधिक आवेदन/प्ररूप दाखिल करता है, तो ईआरओ/एईआरओ द्वारा स्वयं उनका अनिवार्यतः प्रतिसत्यापन किया जाना चाहिए। इसके अलावा, बीएलए आवेदन प्ररूपों की सूची भी इस घोषणा के साथ प्रस्तुत करेगा कि उसने आवेदन प्ररूपों के विवरणों का व्यक्तिगत रूप से सत्यापन कर लिया है और उसका यह समाधान हो गया है कि वे सही हैं।

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