Ganga Jal is Not Healthy for Drinking and Bathing

नहाना तो छोड़िए जनाब आचमन के लायक भी नहीं है ‘गंगा जल’, रिपोर्ट में हुआ चौकाने वाला खुलासा

नहाना तो छोड़िए जनाब आचमन के लायक भी नहीं है ’गंगा जल’ Ganga Jal is Not Healthy for Drinking and Bathing: Report

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:08 PM IST, Published Date : July 29, 2022/3:40 pm IST

वाराणसीः Ganga Jal is Not Healthy राम तेरी गंगा मैली…ये बात अब फिल्मी नहीं रह गई। जी हां मोदी सरकार गंगा नदी को स्वच्छ करने के लिए नमामि गंगे योजना तो चला रही है, लेकिन गंगा की सफाई को लेकर सरकार के दावों की एक संस्था ने पोल खोलकर रख दी है। दरअसल संस्था ने यह दावा किया है कि गंगा का पानी नहाने के लिए तो छोड़िए आचमन करने के योग्य भी नहीं है। रिपोर्ट में गंगा जल में फेकल कोलीफॉर्म मानक से कई गुना अधिक पाया गया है।>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां CLICK करें*<<

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Ganga Jal is Not Healthy मिली जानकारी के अनुसार संकट मोचन फाउंडेशन ने गंगा जल की शुद्धता को लेकर एक रिपोर्ट तैयार किया है। रिपोर्ट में यह पाया है कि गंगा जल में फेकल कोलीफॉर्म मानक से कई गुना अधिक पाया गया है, जो गंगा नदी का पानी उपयोग करने वालों के लिए चिंताजनक है। आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसर और फॉउंडेशन के अध्यक्ष विशंभर नाथ मिश्रा ने बताया कि गंगा में सीधे गिरने वाले कई नाले बंद तो जरूर हुए हैं, लेकिन कहीं न कहीं उसका पानी गंगा में आ रहा है। अस्सी और वरुणा से बड़ी मात्रा में सीवेज का पानी गंगा में जा रहा है, जिसके कारण वहां फेकल कोलीफॉर्म करोड़ों में है।

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बताते चलें कि नहाने के पानी में फेकल कोलीफॉर्म 100 मिलीलीटर में 500 से कम होना चाहिए। लेकिन गंगा में जहां अस्सी मिलती है, वहां 3 करोड़ 10 लाख और डाउन स्ट्रीम में जहां वरुणा मिलती है, वहां 6 करोड़ के करीब है. 14 जुलाई की रिपोर्ट में ये तथ्य सामने आया है। इसके अलावा तुलसीदास पर 65 हजार, शिवाला घाट पर 35 हजार, राजेन्द्र प्रसाद घाट पर 21 हजार और ललिता घाट पर 16 हजार है, जो साफ दर्शाता है कि गंगा जल में बड़ी मात्रा में सीवेज का पानी है। ऐसे में गंगा जल नहाने लायक तो दूर आचमन लायक भी नहीं है, लेकिन फिर भी श्रद्धा है कि लोग गंगा में स्नान कर रहे हैं।

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संकट मोचन फॉउंडेशन के आंकड़ों से इतर यदि बात उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की करें तो उनके क्षेत्रीय अध्यक्ष कालिका सिंह का कहना है कि गंगाजल की सेहत में बीते 7 सालों में काफी सुधार हुआ है। वाराणसी के दीनापुर, रमना, गोइठहां और रामनगर एसटीपी प्लांट में करीब हर रोज 300 एमएलडी सीवेज जल का ट्रीटमेंट किया जाता है। वाराणसी में गंगा में मिलने वाले 23 नालों में से 19 को पूरी तरह बंद कराया जा चुका है। बाकी नालों के टेपिंग के लिए भी काम जारी है, लेकिन यदि नाले बन्द हो गए हैं तो फिर गंगा जल वाराणसी में नहाने योग्य क्यों नहीं है ये बड़ा सवाल है।

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