प्रयागराज (उप्र), 23 मई (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राम वनगमन मार्ग का निर्माण इतिहास के मुताबिक करने के लिए केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश जारी करने के अनुरोध संबंधी जनहित याचिका खारिज कर दी है।
कौशांबी के रजनीश कुमार पांडेय नाम के व्यक्ति द्वारा दायर इस जनहित याचिका में उन सभी स्थानों को जोड़ने का अनुरोध किया गया था जहां भगवान राम ने वनगमन के दौरान रात्रि में विश्राम किया।
मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि इसे राजनीतिक मंशा से दायर किया गया है।
अदालत ने पिछले सप्ताह याचिका खारिज करते हुए दो कारण गिनाए थे। अदालत ने पहला कारण बताते हुए कहा कि याचिका में इलाहाबाद उच्च न्यायालय, नियम 1952 के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया गया है क्योंकि याचिकाकर्ता ने अपने परिचय का उल्लेख नहीं किया है।
अदालत ने कहा कि यहां केवल यह उल्लेख किया गया है कि याचिकाकर्ता एक सामाजिक कार्यकर्ता है।
हालांकि सुनवाई के दौरान उसके वकील ने बताया कि याचिकाकर्ता एक राजनीतिक व्यक्ति है।
अदालत ने कहा कि दूसरा कारण यह है कि इस याचिका में जिस मुद्दे को उठाया गया है, उसके बारे में याचिकाकर्ता एक राजनीतिक व्यक्ति होने के नाते कुछ नहीं जानता।
अदालत ने कहा कि वस्तुतः यह याचिका गुप्त उद्देश्य से दायर की गई है और राज्य सरकार ने इस परियोजना पर निर्णय से पहले गहन अनुसंधान जरूर किया होगा।
अदालत ने कहा कि राम वनगमन मार्ग में परिवर्तन के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में भगवान राम ने अयोध्या से अपनी यात्रा शुरू की थी और वह प्रतापगढ़, प्रयागराज और कौशांबी होते हुए चित्रकूट गए थे। इस पथ को राम वनगमन मार्ग कहा जाता है और इसकी लंबाई लगभग 177 किलोमीटर है।
भाषा राजेंद्र राजेंद्र देवेंद्र
देवेंद्र
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