अध्ययन के प्रति हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता की मांग करता है अंटार्कटिका :किरेन रीजीजू |

अध्ययन के प्रति हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता की मांग करता है अंटार्कटिका :किरेन रीजीजू

अध्ययन के प्रति हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता की मांग करता है अंटार्कटिका :किरेन रीजीजू

:   Modified Date:  May 21, 2024 / 04:44 PM IST, Published Date : May 21, 2024/4:44 pm IST

कोच्चि, 21 मई (भाषा) भारत ने मंगलवार को अंटार्कटिका में विनियमित पर्यटन की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि यह ज्वलंत मुद्दा है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में उस बर्फीले महाद्वीप में जाने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रीजीजू ने यहां 46वें अंटार्कटिका संधि परामर्श सम्मेलन (एटीसीएम) के उद्घाटन के अवसर पर कहा, ‘‘यह बर्फ का विशाल क्षेत्र केवल एक जमा हुआ रेगिस्तान नहीं है; बल्कि एक जीवंत प्रयोगशाला है जो सुरक्षा और अध्ययन के प्रति हमारी सर्वोच्च प्रतिबद्धता की मांग करती है।’’

अंटार्कटिका के लिए संसद कहा जाने वाला एटीसीएम 56 देशों की सहभागिता के साथ इस क्षेत्र का संचालन करने वाला सर्वोच्च मंच है। इनमें 29 देश परामर्शदाता का दर्जा रखते हैं जिन्हें निर्णय का अधिकार है। एटीसीएम में सभी फैसले आम-सहमति से लिए जाते हैं।

अंटार्कटिका में पर्यटन को विनियमित करने के लिए एक रूपरेखा विकसित करने को लेकर एक अलग कार्य समूह वर्तमान एटीसीएम में स्थापित किया गया है।

एटीसीएम में शुरुआत में पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पंकज सरण को 10 सदस्यीय सम्मेलन का अध्यक्ष चुना गया। सम्मेलन 30 मई को समाप्त होगा। इस दौरान पर्यावरण संरक्षण संबंधी समिति की 26वीं बैठक भी हो रही है।

रीजीजू ने यह घोषणा भी की कि भारत की योजना एक नया अनुसंधान स्टेशन ‘मैत्री-2’ बनाने की है।

भाषा वैभव अविनाश

अविनाश

 

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