Antibiotic Azithromycin: People in India are taking this drug without thinking

Antibiotic Azithromycin : भारत में लोग बिना सोचे-समझे ले रहे यह ड्रग, आप भी उनमें तो नहीं, खतरा जान लीजिए

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:38 PM IST, Published Date : September 7, 2022/12:33 pm IST

Antibiotic Azithromycin News : नई दिल्ली –  देश में कोरोना काल से पहले और उसके दौरान लोगों ने जमकर एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन का प्रयोग किया था। चौंकाने वाली बात तो ये है कि कई दवाइयों को तो ड्रग रेग्युलेटर से मंजूरी तक नहीं मिली थी। दक्षिणपूर्व एशिया में छपी एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है। रिसचर्स ने भारत के निजी अस्पतालों में कोरोना से पहले के एंटीबायोटिक के प्रयोग पर खोजबीन की। रिसर्च में चौंकाने वाले नतीजे आए। रिसर्च में पाया गया ज्यादातर एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल सही तरीके से नहीं किया गया है। यही नहीं भारत में सबसे ज्यादा एजिथ्रोमाइसिन का इस्तेमाल होता है। लोग बिना सोचे-समझे इसका इस्तेमाल करने लगते हैं।     >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां CLICK करें*<<

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Antibiotic Azithromycin News : रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। इस रिपोर्ट में भारत में एंटीबायोटिक के खिलाफ बन रही प्रतिरोधक क्षमता को लेकर अहम बात कही गई है। रिपोर्ट के अनुसार भारत एजिथ्रोमाइसिन समेत बड़े पैमाने पर एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाता है। एजिथ्रोमाइसिन जैसे एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किफायत के साथ किया जाना चाहिए। वैसी एंटीबायोटिक्स दवाएं जिसका इस्तेमाल अज्ञात बैक्टीरिया के खिलाफ किया जाता है उसका इस्तेमाल भी संभलकर करने की जरूरत है। ऐसे ड्रग का इस्तेमाल उसी सूरत में किया जाना चाहिए जब किसी मरीज की जान संकट में हो और उसके अंदर अज्ञात बैक्टीरिया पुख्ता संदेह हो। गले के इंफेक्शन में दिए जाने वाला एंटीबायोटिक्स भी प्रिजर्व हो सकता है। इस रिसर्च को भारतीय पब्लिक हेल्थ फांउडेशन नई दिल्ली के साथ किया गया है।

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Antibiotic Azithromycin News : बताया गया है कि रोजाना दिए जाने वाले एंटीबायोयिक्स के डोज का कुल 44% बिना इजाजत वाली दवाइयां हैं। इसमें 1,098 यूनिक फॉम्युलेशन वाली और 10,100 यूनिक ब्रैंड की दवाए हैं। इसमें से केवल 46% दवाओं को सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के नियमों के तहत आते हैं। शाफी ने कहा कि कंपनियां राज्यों से बिना केंद्रीय रेग्युलेटर की इजाजत के ही लाइसेंस प्राप्त कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच नियामक शक्तियों में उहापोह के कारण देश में एंटीबायोटिक्स की उपलब्धता और बिक्री को पेचीदा बना देता है। हालांकि इस रिसर्च में देश में केवल एंटीबायोटिक्स के दुरुपयोग को लेकर ही खोजबीन की गई है।

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