सिलचर, 24 जुलाई (भाषा) असम के कछार जिले में बांग्लादेश की सीमा से सटे एक सुदूर गांव की महिलाओं को अपना पहला स्व-सहायता समूह (एसएचजी) बनाने की उस समय प्रेरणा मिली जब उनके जिले की उपायुक्त ने गांव का दौरा किया। इस समूह के जरिए अब यह महिलाएं सरकारी कल्याणकारी योजनाओं से भी जुड़ सकती हैं। एक आधिकारिक वक्तव्य में शनिवार को यह जानकारी दी गयी।
वक्तव्य के मुताबिक कछार उपायुक्त कीर्ति जल्ली ने 11 जून को कोविड-19 जांच और टीकाकरण संबंधी जागरुकता अभियान के लिए कटिगोरा विकास खंड के हरिनगर गांव पंचायत के अंतर्गत आने वाले बांग्लादेश की सीमा से सटे अल्पसंख्यक बहुल तुकरग्राम राजस्व गांव (पुरान बस्ती) का दौरा किया था।
गांव के दौरे के समय जल्ली ने देखा कि क्षेत्र की महिलाएं विकास कार्य करने की इच्छा रखती हैं, लेकिन वे इसके लिए उस हद तक संगठित नहीं हैं।
इसके बाद उपायुक्त ने महिलाओं को एक एसएचजी बनाने के लिए कहा, जिसमें उस क्षेत्र के वंचित तबकों की महिलाओं को शामिल किया जाए, ताकि उन्हें असम राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एएसआरएलएम) के तहत लाया जा सके और विभिन्न सरकारी योजनाओं जैसे ‘कनकलता महिला सबलीकरण योजना’ के माध्यम से समर्थन दिया जा सके।
इसके बाद इस क्षेत्र में पहले एसएचजी समूह का गठन किया गया, जिसका नाम ‘पल्ली उन्नयन एसएचजी’ रखा गया है।
इन महिलाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में सक्षम बनाने पर खुशी व्यक्त करते हुए जल्ली ने कहा, “मैं आशावादी हूं कि एएसआरएलएम के तहत कौशल और हैंडहोल्डिंग उन्हें बकरी पालन, दूध की खेती, आदि जैसी गतिविधियों के माध्यम से आय पैदा करने वाले प्लेटफार्मों तक पहुंचने में सक्षम बनाएगी।“
भाषा रवि कांत माधव
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