नई दिल्ली। एनपीए का बोझ सरकारी बैंकों पर किस हद तक बढ़ रहा है, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि अब सरकार ने फैसला किया है कि 4 सरकारी बैंकों का मर्जर किया जाएगा। केंद्र सरकार की नीति है कि देश में एसबीआई के तर्ज पर एक और बैंक को खड़ा किया जाए, जिसके लिए आईडीबीआई, सेंट्रल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का मर्जर किए जाने की तैयारी की जा रही है।
अगर इन चारों बैंकों का मर्जर होता है तो नए बैंक की कुल संपत्ति 16.58 लाख करोड़ होगा। अगर 2018 में इन चारों बैंकों के कुल घाटे की बात की जाए तो वो 22 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। लगातार बढ़ रहा घाटा, सरकारी बैंकों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। इस मुसीबत से छूटकारा पाने के लिए सरकार के पास एक रास्त है कि वो ऐसे बैंकों का विलय कर देश में एक और बड़े सरकारी बैंक का निर्माण करे।
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गौरतलब है कि इससे पहले केंद्र सरकार ने देश में लगभग 14 बैंकों को देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई के साथ मर्ज करने की योजना बनाई थी। लेकिन इस योजना को कारगर करने से पहले केंद्र सरकार ने अब देश में 4-5 बड़े बैंकों का खाका तैयार किया है। इसी के तहत पिछले साल सरकार ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के 5 एसोसिएट बैंक और भारतीय महिला बैंक को स्टेट बैंक में मर्ज किया था।
बताया जा रहा है कि इन चारों बैंकों में से सबसे बुरा हाल आईडीबीआई बैंक का है। मसलन, सरकार ने तय किया है कि वो इस बैंक की 51 फीसदी हिस्सेदारी किसी निजी कंपनी को बेचने की तैयारी कर रही है। बता दें इस बैंक की 51 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के बाद सरकार को 9 से 10 हजार करोड़ रुपये जुटाने में मदद मिलेगी।
वेब डेस्क, IBC24
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