नई दिल्ली: Interesting facts about budget 1 फरवरी, वो तारीख जिस दिन होता है देश के बही खाते का हिसाब जनता देखती है। अपना हिस्सा, हर वर्ग चाहता है ग्रोथ की पॉकेट मनी, महिला, युवा, नौकरीपेशा, व्यापारी सभी को उम्मीदें हैं। उम्मीदें हो भी क्यों ना पिछले दो सालों से कोरोना ने सबकी कमर जो तोड़ रखी है, लेकिन काली रात के बाद फिर उम्मीद की वो सुबह आई है। जब देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटती नजर आ रही है। अर्थव्यवस्था ना सिर्फ पटरी पर लौटी है बल्कि अप्रत्याशित रफ्तार से आगे भी बढ़ रही है। ऐसे में जनता वित्त मंत्री की तरफ निगाहें टिकाए बैठी है कि बजट के पिटारे से उनके लिए भी कई सारी सौगात निकलेगी। क्या पूरी होंगी सबकी उम्मीदें? वित्त मंत्री के बही खाते में किसको कितना हिस्सा मिलेगा? और कैसी होगी कहानी बजट की?
Interesting facts about budget कोरोना महामारी का प्रकोप झेल रही देश की जनता को आम बजट का बेसब्री से इंतजार है। हर किसी को उम्मीद है कि इस बार का बजट लोक-लुभावन होगा। हालांकि, अब देश की अर्थव्यवस्था न केवल पटरी पर लौट आई है बल्कि, तेजी से आगे भी बढ़ रही है। ऐसे में तमाम सेक्टर वित्त मंत्री की तरफ उम्मीद लगाए बैठे हैं कि बजट के पिटारे में से उनके लिए भी कुछ न कुछ सौगात जरूर निकलेगी। बजट से किस-किस को क्या मिलेगा इस बात से पर्दा तो 1 फरवरी को ही उठ सकेगा जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट 2022-23 पेश करेंगी। बहरहाल, बजट से पहले आपको ये जरूर जानना चाहिए कि आम बजट का इतिहास क्या है और इससे जुड़े रोचक तथ्य क्या हैं?
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भारत में पहला बजट 7 अप्रैल 1860 को पेश किया गया था। पहले बजट को ब्रिटिश सरकार के वित्त मंत्री जेम्स विल्सन ने पेश किया था। वहीं आजादी के बाद देश के पहले वित्तमंत्री आरके षणमुखम चेट्टी बने। आरके षणमुखम चेट्टी ने 26 नवंबर, 1947 को बजट पेश किया था। संविधान गठन के बाद पहला बजट 28 फरवरी, 1950 को पेश हुआ था।
जब प्रधानमंत्री ने पेश किया बजट
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देश का बजट हमेशा से ही वित्त मंत्री पेश करते आए हैं, लेकिन भारत के इतिहास में तीन ऐसे मौके आए हैं, जब प्रधानमंत्री ने आम बजट पेश किया है। दरअसल, कई ऐसे प्रधानमंत्री हुए हैं, जिनके पास वित्त मंत्रालय का भी अतिरिक्त कार्यभार था। इनमें जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी शामिल हैं।
दरअसल बजट को वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और दूसरे मंत्रालय मिलकर तैयार करते हैं। वित्त मंत्रालय खर्च के आधार पर गाइडलाइन जारी करता है और अलग-अलग विभागों के बीच फंड देने को लेकर चर्चा होती है। अमूमन अगस्त-सितम्बर से बजट बनना शुरू हो जाता है। किस विभाग को कितनी रकम मिले इसका वित्त मंत्रालय ब्लूप्रिंट बनाता है। अक्टूबर-नवंबर के दौरान अन्य मंत्रालयों के साथ बैठक होती है।
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बजट से जुड़े कई रोचक तथ्य भी हैं, जैसे वित्तमंत्री का भाषण सबसे सुरक्षित दस्तावेज होता है। बजट से दो दिन पहले छपने के लिए भेजा जाता है। हालांकि, इस बार बजट डिजिटल रूप में पेश किया जाएगा। बजट की छपाई के दौरान वित्त मंत्रालय के सभी अधिकारी-कर्मचारी दफ्तर में ही रहते हैं। स्टाफ को परिवार से भी बातचीत की इजाजत नहीं रहती है। बजट से जुड़े लोग और प्रकाशन पर कड़ी नजर रखी जाती है।
वित्त मंत्री को बजट की पहली ड्राफ्ट कॉपी दी जाती है। बजट पेश करने से पहले राष्ट्रपति की अनुमति ली जाती है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही बजट को मंत्रिमंडल के सामने रखा जाता है। इसके बाद इसे संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है। आम बजट दो हिस्सों में बंटा होता है। पहले हिस्से में आर्थिक सर्वे और नीतियों का ब्यौरा होता है। दूसरे हिस्से में प्रत्यक्ष और परोक्ष कर के प्रस्ताव रखे जाते हैं।
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