सीएए भेदभावपूर्ण, इसे निरस्त कर शरण संबंधी कानून बनाना चाहिए: चिदंबरम |

सीएए भेदभावपूर्ण, इसे निरस्त कर शरण संबंधी कानून बनाना चाहिए: चिदंबरम

सीएए भेदभावपूर्ण, इसे निरस्त कर शरण संबंधी कानून बनाना चाहिए: चिदंबरम

:   Modified Date:  April 23, 2024 / 10:21 PM IST, Published Date : April 23, 2024/10:21 pm IST

नयी दिल्ली, 23 अप्रैल (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को ‘‘स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण’’ करार देते हुए मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी इसे निरस्त करने तथा इसके स्थान पर अंतरराष्ट्रीय संधियों से तालमेल वाला शरण संबंधी कानून बनाने के पक्ष में है।

उनकी यह टिप्पणी गृह मंत्री अमित शाह द्वारा विवादास्पद सीएए पर कांग्रेस के रुख को लेकर की गई आलोचना के जवाब में आई है।

शाह ने सोमवार को कहा था कि कांग्रेस अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए हिंदू, बौद्ध, जैन, ईसाई, सिख और पारसी समुदायों को ‘‘नुकसान पहुंचाने’’ पर तुली हुई है।

इससे पहले, चिदंबरम ने कहा था कि सत्ता में आने पर कांग्रेस सीएए को निरस्त करेगी।

गृह मंत्री के बयान के बारे पूछे जाने पर, चिदंबरम ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘यह केवल मेरी टिप्पणी नहीं है। कई कांग्रेस नेताओं ने रुख को सामने रखा है। जब सीएए को संसद में लाया गया था, तो हमने इसका विरोध किया। हमारे सदस्यों ने शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन के समय वहां दौरा किया है। मैं खुद कोलकाता के विरोध प्रदर्शन में गया था। हम सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वालों के साथ एकजुटता से खड़े हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सीएए स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण है। हम संयम बरत रहे हैं, क्योंकि मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है, लेकिन हमारे विचार बिल्कुल स्पष्ट हैं। सीएए स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण है, यह तीन देशों और छह धार्मिक समूहों का चयन करता है। उदाहरण के तौर पर यह श्रीलंका के तमिलों, म्यांमार के तमिलों को अलग छोड़ देता है। ऐसा क्यों?’’

पूर्व गृह मंत्री ने कहा, ‘‘तमिल लोग तमिल भाषी हैं, वे हिंदू हैं, मुस्लिम हैं। श्रीलंका में उत्पीड़न का शिकार तमिल हिंदुओं को भारत में प्रवास करने की अनुमति क्यों नहीं है, अगर वह शरण की शर्तों को पूरा करता है? इसलिए, हमारा रुख यह है कि सीएए को अवश्य जाना चाहिए।’’

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हमें इसे शरण संबंधी कानून से बदलना चाहिए, जो उन अंतरराष्ट्रीय संधियों के अनुरूप हो, जिसमें भारत भी एक पक्ष है।’’

शाह की इस टिप्पणी पर कि कानूनों को बदलने के लिए किसी को सरकार में आना होगा और कांग्रेस के लिए मुख्य विपक्षी दल बनना भी संभव नहीं है, चिदंबरम ने कहा, ‘‘भगवान का शुक्र है कि भारत का चुनाव आयोग गृह मंत्रालय से अलग है और भगवान का शुक्र है भारत के लोग भारत के चुनाव आयोग से स्वतंत्र हैं।’’

चिदंबरम ने कहा कि कानूनों की एक लंबी सूची है, जिनकी समीक्षा, संशोधन या निरस्त करने की जरूरत है।

उन्होंने इसके उदाहरण के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002, (पीएमएलए) का उल्लेख किया।

भाषा हक हक दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)