नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा को उनके एक मित्र द्वारा सार्वजनिक तौर पर लगाये गये आरोपों के खिलाफ अपना बचाव करने से नहीं रोका जा सकता।
अदालत ने वकील जय अनंत देहाद्राई की एक याचिका का निस्तारण करते हुए यह मौखिक टिप्पणी की। वकील ने लोकसभा से निष्कासित सदस्य महुआ को उनके खिलाफ ‘अपमानजनक’ बयान देने से रोकने के लिए अंतरिम आदेश जारी करने का अनुरोध किया था।
देहाद्राई ने मोइत्रा के खिलाफ धन लेकर सवाल पूछने के विवाद की पृष्ठभूमि में उनके खिलाफ कुछ कथित मानहानिकारक बयान देने के लिए 2 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग करते हुए मुकदमा दायर किया है।
मोइत्रा को वादी के इन आरोपों के बाद 8 दिसंबर को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था कि उन्होंने संसद में प्रश्न पूछने के लिए व्यवसायी और हीरानंदानी समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत ली थी।
न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘अगर आपने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए तो उन्हें अपना बचाव करने का पूरा अधिकार है। केवल इस स्थिति को छोड़कर कि वह किसी उद्देश्यपूर्ण तरीके से झूठे बयान नहीं दे सकतीं।’’
भाषा
वैभव माधव
माधव
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