सीबीआरआई ने भूधंसाव ग्रस्त जोशीमठ में 14 उच्च खतरे वाले क्षेत्र चिन्हित किए |

सीबीआरआई ने भूधंसाव ग्रस्त जोशीमठ में 14 उच्च खतरे वाले क्षेत्र चिन्हित किए

सीबीआरआई ने भूधंसाव ग्रस्त जोशीमठ में 14 उच्च खतरे वाले क्षेत्र चिन्हित किए

:   Modified Date:  January 24, 2024 / 07:45 PM IST, Published Date : January 24, 2024/7:45 pm IST

देहरादून, 24 जनवरी (भाषा) केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) ने भूधंसाव ग्रस्त जोशीमठ में 14 उच्च खतरे वाले क्षेत्र चिन्हित किए हैं और प्रशासन से वहां के निवासियों को मुआवजा लेने या उन्हें कहीं और बसाने का विकल्प देने की सिफारिश की है ।

सीबीआरआई के वैज्ञानिक अजय चौरसिया ने कहा, “विस्तृत सर्वेक्षण के बाद हमने जोशीमठ में 14 उच्च खतरे वाले क्षेत्र चिन्हित किए हैं । जोशीमठ में पिछले साल भूधंसाव की समस्या सामने आयी थी और नगर के मारवाडी, सुनील वार्ड, अपर बाजार, लोअर बाजार, सिंहद्वार और मनोहर बाग क्षेत्र इन उच्च खतरे वाले क्षेत्रों में शामिल हैं । इन क्षेत्रों के मकानों में रहना खतरनाक है।”

जोशीमठ के उच्च खतरे वाले क्षेत्रों में करीब 1000 रिहायशी और व्यापारिक भवन है ।

चौरसिया ने कहा कि सर्वेक्षण के दौरान यह पता चला कि पिछले साल नगर के भवनों में आयी दरारें गत छह महीनों में और चौड़ी या गहरी नहीं हुई हैं ।

उन्होंने कहा कि उच्च खतरे वाले क्षेत्रों के निवासियों को दो विकल्प दिए जा सकते हैं कि या तो वे मुआवजा ले लें या फिर उन्हें किसी सुरक्षित स्थान पर बसा दिया जाए।

इस संबंध में उन्होंने कहा कि सीबीआरआई राज्य सरकार को किसी नए स्थान को आदर्श गांव बनाने में पूरा सहयोग देगी ।

उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने पिछले शनिवार को जोशीमठ भूधंसाव आपदा से प्रभावित परिवारों से मुलाकात कर पुनर्वास के बारे में उनकी राय जानी थी ।

कार्यक्रम के दौरान प्रभावितों लोगों ने उनसे पुनर्वास के नाम पर जोशीमठ से बाहर विस्थापित किए जाने का विरोध किया था और कहा था कि जोशीमठ में विभिन्न विभागों के पास उपलब्ध अतिरिक्त भूमि पर ही प्रभावित परिवारों को बसा दिया जाए।

जन सुनवाई के दौरान सिन्हा ने प्रभावितों को बताया कि जोशीमठ को भूधंसाव के खतरे को गंभीर, मध्यम और कम खतरे वाले तीन श्रेणियों में चिन्हित किया गया है जिसमें से एक तिहाई हिस्सा गंभीर रूप से खतरनाक की श्रेणी में है।

उन्होंने कहा कि सभी प्रभावित परिवारों को विकल्प दिए जाएंगे तथा केंद्र सरकार से चर्चा के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी।

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने कहा कि प्रभावित परिवारों ने एकराय से किसी सुरक्षित गांव में बसाए जाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है ।

सती ने आरोप लगाया कि कार्यक्रम को जनसुनवाई के रूप में आयोजित किया गया था लेकिन इसमें चुनिंदा लोगों को ही आमंत्रित किया गया था।

राज्य सरकार ने प्रभावित लोगों को बसाने के लिए गौचर के नजदीक एक स्थान चिन्हित किया है लेकिन जोशीमठ से 90 किलोमीटर दूर होने के कारण लोगों को यह स्वीकार्य नहीं है ।

पिछले साल जनवरी में जोशीमठ में भूधंसाव की समस्या सामने आयी थी और वहां के भवनों तथा जमीनों में बड़ी-बड़ी और गहरी दरारें आ गयी थीं जिसके कारण प्रशासन को वहां रहने वाले लोगों को अस्थाई राहत शिविरों में भेजना पड़ा ।

भाषा दीप्ति दीप्ति नोमान

नोमान

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)