‘लिविंग विल’ के मुद्दे पर फैसला न करके केंद्र जिम्मेदारी से पीछे हट रहा : न्यायालय |

‘लिविंग विल’ के मुद्दे पर फैसला न करके केंद्र जिम्मेदारी से पीछे हट रहा : न्यायालय

‘लिविंग विल’ के मुद्दे पर फैसला न करके केंद्र जिम्मेदारी से पीछे हट रहा : न्यायालय

:   Modified Date:  January 19, 2023 / 10:46 PM IST, Published Date : January 19, 2023/10:46 pm IST

नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र सरकार ‘लिविंग विल’ (इच्छा मृत्यु संबंधी वसीयत) पर फैसला न लेकर अपनी विधायी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है।

‘निष्क्रिय इच्छामृत्यु’ पर शीर्ष अदालत ने 2018 में दिये गये आदेश में प्रत्येक व्यक्ति को गरिमा के साथ मरने के अधिकार को मौलिक अधिकार और अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) के एक पहलू के रूप में मान्यता दी थी, इसके बावजूद ‘लिविंग विल’ को पंजीकृत कराने के इच्छुक लोगों को जटिल दिशानिर्देशों के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

यह देखते हुए कि यह एक ऐसा मामला है जहां देश के चुने हुए प्रतिनिधियों को बहस करनी चाहिए, न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि अदालत में अपेक्षित विशेषज्ञता का अभाव है और यह पक्षकारों द्वारा प्रदान की गई जानकारी पर निर्भर है।

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा की गई है और विचार-विमर्श किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी कानून को पारित न करना एक स्पष्ट निर्णय था। निर्णय को स्वीकार कर लिया गया है और हम मूल निर्देशों से असंतुष्ट नहीं हैं।’’

संविधान पीठ में न्यायमूर्ति जोसेफ के अलावा न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार भी शामिल हैं।

संविधान पीठ ने कहा कि इस बात की आशंका है कि इसका दुरुपयोग हो सकता है और इसके लिए सुरक्षा की आवश्यकता है।

इस बीच, सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति रॉय ने अरुणा शानबाग पर अभिनेता लुशिन दुबे के नाटक ‘‘अरुणा की कहानी’’ का जिक्र किया।

भाषा सुरेश देवेंद्र

देवेंद्र

 

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