(फाइल फोटो के साथ)
जोरहाट (असम), आठ अप्रैल (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सोमवार को कहा कि असम के अहोम शासकों के समाधि स्थल ‘‘चराइदेव मैदाम’’ को इस साल के आखिर तक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिलने वाला है।
असम के प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समर्पण की तारीफ करते हुए शर्मा ने लोगों से उन्हें तीसरे कार्यकाल के लिए समर्थन करने की अपील की।
जोरहाट लोकसभा सीट के तहत चराईदेव में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए शर्मा ने मोदी के साथ अपनी उस मुलाकात को याद किया जहां उन्होंने उनसे ‘मैदाम’ को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के दर्जे के लिए देश की नामांकन के तौर पर सिफारिश करने का अनुरोध किया था।
शर्मा ने कहा, ‘‘ दिल्ली में अधिकारियों ने मुझसे कहा कि आधिकारिक नामांकन के लिए दो प्रस्ताव– हमारे मैदाम और बौद्धस्थल सारनाथ, थे। जब मैं अपने संस्कृति मंत्री से मिला , तब उन्होंने कहा कि उनमें प्रधानमंत्री से मिलने का साहस नहीं है क्योंकि सारनाथ वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र में है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल मैं प्रधानमंत्री से मिला और उनसे चराईदेव मैदाम को यूनेस्को धरोहर स्थल दर्जे के लिए देश से एकमात्र नामांकन करने का अनुरोध किया।’’
मुख्यमंत्री ने दावा किया, ‘‘ इस साल तक चराईदेव मैदाम यूनेस्को धरोहर स्थल का हिस्सा होगा।’’
मैदाम ताई अहोम वंश के शासकों की समाधियों की उत्तर मध्यकालीन परंपरा का प्रतीक है। इस वंश ने असम पर 600 वर्षों तक शासन किया था।
अबतक 380 मैदाम (समाधियों) का अध्ययन किया गया है और पाया गया है कि चराईदेव में 90 शाही समाधियों का बहुत अच्छी तरह संरक्षण किया गया और ये इस परंपरा के पूर्ण उदाहरण हैं।
शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री के मन में असम के लिए विशेष स्थान है जो कई अवसरों पर उनके ‘गुमासा’ (असम का पारंपरिक तौलिया) लगाने से परिलक्षित होता है।
उन्होंने कहा, ‘‘ मोदी जी जब कोविड टीका लेने गये थे तब उन्होंने गुमासा पहन रखा था। बाद में जब मैंने पूछा किया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया तो मोदीजी ने मुझसे कहा कि गुमासा उन्हें साहस प्रदान करता है।’’
शर्मा ने कहा कि हाल में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में प्रधानमंत्री के रात्रिविश्राम से इस पर्यटन स्थल की ओर और अंतराष्ट्रीय ध्यान गया।
भाषा
राजकुमार रंजन
रंजन
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