प्रधानमंत्री का मुस्लिम समुदाय के लिए बजट का 15 प्रतिशत खर्च करने संबंधी आरोप गलत : चिदंबरम |

प्रधानमंत्री का मुस्लिम समुदाय के लिए बजट का 15 प्रतिशत खर्च करने संबंधी आरोप गलत : चिदंबरम

प्रधानमंत्री का मुस्लिम समुदाय के लिए बजट का 15 प्रतिशत खर्च करने संबंधी आरोप गलत : चिदंबरम

:   Modified Date:  May 16, 2024 / 11:10 AM IST, Published Date : May 16, 2024/11:10 am IST

नयी दिल्ली, 16 मई (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस आरोप को बृहस्पतिवार को गलत बताया कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने बजट का 15 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय पर खर्च करने का फैसला किया था।

उन्होंने यह दावा भी किया कि प्रधानमंत्री ने लोकसभा चुनाव के बीच हिंदू मुस्लिम विभाजन के मकसद से यह टिप्पणी की है।

प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को महाराष्ट्र में एक चुनावी सभा में कहा था कि वर्ष 2004 से 2014 के बीच केंद्र में सत्ता में रहने के दौरान कांग्रेस ने बजट का 15 प्रतिशत अल्पसंख्यकों पर खर्च करने की योजना बनाई थी जो कि उसका ‘पसंदीदा वोट बैंक’ है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कड़े विरोध के कारण उसने प्रस्ताव छोड़ दिया।

पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘माननीय प्रधानमंत्री के बयान लगातार विचित्र होते जा रहे हैं और यह दर्शाते हैं कि उनके भाषण लिखने वाले अपना संतुलन खो बैठे हैं। कल, उन्होंने दावा किया कि अगर उन्होंने हिंदू-मुस्लिम विभाजन किया, तो वह सार्वजनिक जीवन में रहने के योग्य नहीं होंगे। आज, उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों को विभाजित करने का अपना खेल खेला।’

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री का यह आरोप पूरी तरह से गलत है कि डॉक्टर मनमोहन सिंह ने केंद्रीय बजट का 15 प्रतिशत विशेष रूप से मुसलमानों पर खर्च करने की योजना बनाई थी। उनका एक अन्य आरोप है कि कांग्रेस एक मुस्लिम बजट और एक हिंदू बजट पेश करेगी। यह इतना अपमानजनक है कि इसे केवल एक मतिभ्रम के रूप में वर्णित किया जा सकता है। ‘

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 112 केवल एक वार्षिक वित्तीय विवरण पर विचार करता है, जो केंद्रीय बजट है, तो फिर दो बजट कैसे हो सकते हैं?

चिदंबरम ने कहा, ‘चुनाव प्रचार के शेष दिनों में आशा है कि प्रधानमंत्री झूठे आरोपों और अपमानजनक दावों का रास्ता छोड़ देंगे। भारतीय प्रधानमंत्री के बयानों को भारत की जनता ही नहीं, दुनिया भी देख रही है और उनका विश्लेषण भी कर रही और इससे भारत का गौरव नहीं बढ़ता।’’

भाषा हक वैभव मनीषा

मनीषा

 

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