LAC पर बेहद तेजी से पीछे हट रही चीनी सेना, वापसी की युद्धकला ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों को भी चौंकाया | Chinese army retreating very fast on LAC Return warfare also surprised national security officials

LAC पर बेहद तेजी से पीछे हट रही चीनी सेना, वापसी की युद्धकला ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों को भी चौंकाया

LAC पर बेहद तेजी से पीछे हट रही चीनी सेना, वापसी की युद्धकला ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों को भी चौंकाया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:57 PM IST, Published Date : February 12, 2021/4:48 am IST

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में चीन-भारत सीमा विवाद को लेकर पिछले नौ महीनों से जारी तनाव को कम करने की दिशा में भारत और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। भारत और चीन के बीच पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी किनारों पर सेनाओं के पीछे हटने का समझौता हुआ और बुधवार की सुबह ही दोनों देशों के सैनिकों ने पीछे हटना शुरू कर दिए। , पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से चीन अपनी तोपें भी पीछे हटा रहा है। वहीं चीन बेहद तेजी से अपनी सशस्त्र सेनाओं- तोपों को हटा रहा है। चीन की इस स्पीड को देखकर भारतीय सुरक्षा अधिकारी भी चौंक गए हैं।

बता दें कि गुरुवार तक चीनी सेना यानी पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी ने पैंगोंग त्सो के दक्षिण तट से 200 से अधिक प्रमुख युद्धक टैंकों को वापस कर लिया था और लद्दाख के फिंगर 8 के उत्तरी तट से अपने सैनिकों को वापस ले जाने के लिए 100 भारी वाहन तैनात किए थे। चीनी सेनाओं- टैंकों की त्वरित वापसी देखकर भारतीय सेना से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों को भी आश्चर्यचकित किया है।

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इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को देश को अवगत कराया कि पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सेनाओं को पीछे हटाए जाने को लेकर भारत और चीन के बीच सहमति बन गई है।

राज्यसभा में एक वक्तव्य के जरिए दोनों देशों के बीच हुए समझौते का विवरण देते हुए उन्होंने कहा कि चीनी सेना झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर -8 के पूर्व में अपनी सैन्य उपस्थिति बनाए रखेगी तो दूसरी ओर भारतीय सेना फिंगर -3 के पास धन सिंह थापा चौकी पर बनी रहेगी।

रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि राजनाथ सिंह का यह बयान स्पष्ट करता है कि फिंगर-3 और फिंगर आठ के बीच का क्षेत्र भविष्य में तैनाती को लेकर किसी समझौते पर पहुंचने तक प्रभावी तौर पर ‘‘नो पेट्रोलिंग क्षेत्र’’ हो जाएगा।

ज्ञात हो कि चीनी सेना ने फिंगर-4 और फिंगर-8 के बीच के क्षेत्रों में बंकरों समेत कई विभिन्न निर्माण कार्यों का अंजाम दिया था और फिंगर-4 से आगे भारतीय सेना की पेट्रोलिंग पर रोक लगा दी थी। भारतीय सेना ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त की।

चीन के साथ नौ दौर की सैन्य वार्ता में भारत ने पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर-4 से फिंगर-8 के बीच चीनी सेनाओं को हटाए जाने पर जोर दिया।

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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सुरक्षा केंद्र में सहायक प्रोफेसर डॉक्टर लक्ष्मण बेहेरा चीनी सेना के फिंगर-8 तक लौट जाने की घोषणा को अहम बताया।

उन्होंने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘यह एक अहम कदम है। यह देर से हुआ लेकिन मेरा मानना है कि सेनाओं को हटाने की पूरी प्रक्रिया की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा।’’

इससे पहले, रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों पक्ष चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके से अपनी आगे की तैनाती को रोक देंगे। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों द्वारा झील के दक्षिणी किनारे पर भी इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी।

लगभग पांच महीने पहले, चीनी सेना द्वारा भारतीय सेना को धमकाने के प्रयासों के मद्देनजर भारतीय सेना ने पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे की तरफ रणनीतिक लिहाज से अहम मुखपारी, रेछिन ला और मगार की पहाड़ी ऊंचाइयों पर कब्जा जमा लिया था।
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रक्षा मंत्री ने यह आश्वासन भी दिया कि इस प्रक्रिया के दौरान भारत ने ‘‘कुछ भी खोया नहीं है’’। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के अन्य क्षेत्रों में तैनाती और निगरानी के बारे में ‘‘कुछ लंबित मुद्दे’’ बचे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इन पर हमारा ध्यान आगे की बातचीत में रहेगा ।’’

सिंह ने कहा, ‘‘मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे रुख और अनवरत वार्ताओं के फलस्वरूप चीन के साथ पैंगोंग झील के उत्तर एवं दक्षिण किनारों पर सेनाओं के पीछे हटने को लेकर समझौता हो गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ इस बात पर भी सहमति हो गई है कि पैंगोंग झील से पूर्ण तरीके से सेनाओं के पीछे हटने के 48 घंटे के अंदर वरिष्ठ कमांडर स्तर की बातचीत हो तथा बाकी बचे हुए मुद्दों पर भी हल निकाला जाए।’’

रक्षा मंत्री ने कहा कि पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ सेनाओं के पीछे हटने का जो समझौता हुआ है, उसके अनुसार दोनों पक्ष अग्रिम तैनाती को चरणबद्ध तरीके से हटाएंगे ।

उन्होंने कहा, ‘‘चीन अपनी सेना की टुकडि़यों को उत्तरी किनारे में फिंगर आठ के पूरब की दिशा की तरफ रखेगा। इसी तरह भारत भी अपनी सेना की टुकडि़यों को फिंगर तीन के पास अपने स्थायी ठिकाने धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा।’’

उन्होंने कहा कि इसी तरह की कार्रवाई दक्षिणी किनारे वाले क्षेत्र में भी दोनों पक्षों द्वारा की जाएगी।

सिंह ने कहा, ‘‘ये कदम आपसी समझौते के तहत बढ़ाए जाएंगे तथा जो भी निर्माण आदि दोनों पक्षों द्वारा अप्रैल 2020 से उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर किया गया है, उन्‍हें हटा दिया जाएगा और पुरानी स्थिति बना दी जाएगी।’’

ज्ञात हो कि पिछले नौ महीने से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर दोनों देशों के बीच गतिरोध बना हुआ है।

इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए सितम्बर, 2020 से लगातार सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर दोनों पक्षों में कई बार बातचीत हुई।

रक्षा मंत्री ने कहा कि सेनाओं को पीछे हटाने के लिए आपसी समझौते के तहत तरीका निकाले जाने को लेकर वरिष्ठ कमांडर स्तर की नौ दौर की बातचीत भी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा राजनयिक स्तर पर भी बैठकें होती रही हैं।

उन्होंने बताया कि भारतीय सेनाओं ने चीनी सेना की सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया है तथा अपने शौर्य एवं बहादुरी का परिचय दिया है।

उन्होंने कहा कि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई क्षेत्रों को चिन्हित कर हमारी सेनाएं कई पहाडि़यों के ऊपर तथा हमारे दृष्टिकोण से उपयुक्त अन्य क्षेत्रों पर मौजूद हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय सेनाएं अत्यंत बहादुरी से लद्दाख की ऊंची दुर्गम पहाडि़यों तथा कई मीटर फैली बर्फ के बीच में भी सीमाओं की रक्षा करते हुए अडिग हैं और इसी कारण हमारी बढ़त बनी हुई है।’’

सिंह ने कहा कि देश की सेनाओं ने इस बार भी यह साबित कर दिखाया है कि भारत की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करने में वे सदैव तत्पर हैं और यह अनवरत कर भी रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भारत अपनी एक इंच जमीन भी किसी को लेने नहीं देगा और इसी दृढ़ संकल्प का ही नतीजा है कि हम पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर जारी गतिरोध के मद्देनजर समझौते की स्थिति पर पहुंचे हैं।

सिंह ने कहा कि भारत ने चीन को हमेशा यह कहा है कि द्विपक्षीय संबंध दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं और सीमा के प्रश्न को भी बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘परंतु एलएसी पर शांति में किसी प्रकार की प्रतिकूल स्थिति का हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर बुरा असर पड़ता है । इससे चीन भी अच्छी तरह से अवगत है । कई उच्च स्तरीय संयुक्त बयानों में भी यह जिक्र किया गया है कि एलएसी तथा सीमाओं पर शांति कायम रखना द्विपक्षीय संबंधों के लिए अत्यंत आवश्यक है ।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी एक इंच जमीन भी किसी और को नहीं लेने देंगे। हमारे दृढ़ संकल्प का ही फल है कि हम समझौते की स्थिति पर पहुंच गए हैं।’’

रक्षा मंत्री ने कहा कि विभिन्न स्तरों पर चीन के साथ हुई वार्ता के दौरान भारत ने चीन को बताया कि वह तीन सिद्धांतों के आधार पर इस समस्या का समाधान चाहता है।
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उन्होंने कहा, ‘‘पहला, दोनों पक्षों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को माना जाए और उसका सम्मान किया जाए। दूसरा, किसी भी पक्ष द्वारा यथास्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास नहीं किया जाए। तीसरा, सभी समझौतों का दोनों पक्षों द्वारा पूर्ण रूप से पालन किया जाए।’’

सिंह ने कहा कि भारतीय सेनाएं विषम एवं भीषण बर्फबारी की परिस्थितियों में भी शौर्य एवं वीरता का प्रदर्शन कर रही हैं और इसके लिए उनकी प्रशंसा की जानी चाहिए।

इस गतिरोध के दौरान शहीद हुए जवानों की शहादत को याद करते हुए उन्होंने कहा कि इसे देश सदैव याद रखेगा I

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आश्वस्त हूं कि यह पूरा सदन, चाहे कोई किसी भी दल का क्यों न हो, देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रश्न पर एक साथ खड़ा है और एक स्वर से समर्थन करता है कि यह सन्देश केवल भारत की सीमा तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे जगत को जायेगा ।’’