अनूपपुरः कलेक्टर चंद्र मोहन ठाकुर द्वारा जिले के नैनिहालों को आंगनबाड़ी केंद्रों के प्रति आकर्षित करने के लिए नवाचार के तहत जिले के 1050 शासकीय आंगनवाड़ी केंद्रों में बड़े शहरों की तर्ज पर प्ले स्कूल विकसित करने हेतु जिला खनिज प्रतिष्ठान निधि से व्यवस्था की जा रही है। इसके तहत प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों के लिए प्लास्टिक कुर्सी, टेबल, स्लाइडर, हाथी घोड़ा खिलौने, बच्चों के लिए यूनिफॉर्म लोबर, टीशर्ट, स्कूल बैग, फाइबर अलमारी, डस्टबिन, शू-टैक, दरी, एक पंखा, दो बल्ब एवं चाइल्ड फ्रेंडली आयल पेंटिंग का कार्य कराया जा रहा है।
आंगनबाड़ी केंद्रों में चल रहे कार्यों का जायजा लेने के लिए कलेक्टर चंद्र मोहन ठाकुर बाल विकास परियोजना जैतहरी के आंगनवाड़ी केंद्र क्रमांक 1 मानपुर पहुंचे जहां उन्होंने नवाचार के तहत किए जा रहे कार्यों का अवलोकन किया। उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्र में मौजूद बच्चों तथा स्टाफ से दरी पर बैठकर चर्चा की। उन्होंने बच्चों से स्नेहभाव से बात करते हुए उन्हे खेल-खेल में पढ़ने तथा दैनिक आहार-बिहार के संबंध में समझाइश दी। कलेक्टर ठाकुर व महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी विनोद परस्ते आंगनवाडी केंद्र क्रमांक 1 मानपुर के नन्हे-मुन्ने बच्चों के साथ प्रार्थना में शामिल हुए व साझा-चूल्हा कार्यक्रम के अंतर्गत दाल-चावल एवं सब्जी का भी स्वाद चखा।
मानपुर के ग्रामवासियों को जब पता चला कि आंगनवाडी केंद्र के अवलोकन के लिए मानपुर में कलेक्टर आए हैं तो ग्रामीणजन भी आंगनवाडी केंद्र पहुंच गये। कलेक्टर ठाकुर ने ग्रामीणों से खेती -किसानी, राशन और गांव के विकास के संबंध में चर्चा की तथा ग्रामीणों को अपने बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए उन्हें अनिवार्य रूप से शिक्षा दिलाने की समझाइष दी। उन्होंने ग्रामीणों से कहा कि बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करें। कलेक्टर जन समस्याओं से अवगत हुए तथा ग्रामीणों ने ग्राम में पीने के पानी की समस्या से कलेक्टर को अवगत कराया। जिसके शीघ्र समाधान का उन्होंने भारोसा दिलाया।
कलेक्टर ठाकुर ने आंगनवाड़ी केंद्र में हुई चाईल्ड फ्रेंडली ऑयल पेंटिंग का अवलोकन करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की एवं आवश्यक सुझाव भी दिए। उन्होंने जिले के सभी शासकीय आंगनवाड़ी केंद्रों को निर्देशो के अनुरूप व्यवस्था बनाए जाने के निर्देश दिये ताकि बच्चों का आंगनवाड़ी केंद्रों के प्रति आकर्षण बढ़ सके। और बच्चे सहजता से आंगनवाड़ी केंद्रों की ओर खिचे चले आए। इसके अतिरिक्त उन्हें घर की तरह के माहौल में शिक्षा और खेल के साथ ही पोषक आहार की प्राप्ति हो सके।
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