कांग्रेस असम में लोगों के अधिकार के लिये लड़ रही है: हाफिज अहमद राशिद चौधरी |

कांग्रेस असम में लोगों के अधिकार के लिये लड़ रही है: हाफिज अहमद राशिद चौधरी

कांग्रेस असम में लोगों के अधिकार के लिये लड़ रही है: हाफिज अहमद राशिद चौधरी

:   Modified Date:  April 24, 2024 / 08:45 PM IST, Published Date : April 24, 2024/8:45 pm IST

(दुर्बा घोष)

करीमगंज (असम), 24 अप्रैल (भाषा) करीमगंज से कांग्रेस उम्मीदवार हाफिज अहमद राशिद चौधरी ने कहा है कि पार्टी दो प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए चुनाव लड़ रही है – लोगों के मौलिक अधिकार और असम के आम नागरिकों के सामने आने वाली विविध चुनौतियों का समाधान।

चौधरी ने यहां ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “एक तरफ लोगों के सामने नागरिकता की समस्या है तो दूसरी तरफ बढ़ती बेरोजगारी के कारण वे जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।”

बराक घाटी की दो लोकसभा सीटों में से एक, करीमगंज एक संवेदनशील सीमावर्ती निर्वाचन क्षेत्र है, जिसकी बांग्लादेश के साथ 95.4 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा और मिजोरम और त्रिपुरा के साथ अंतरराज्यीय सीमाएं लगती हैं।

उन्होंने कहा, “राज्य के कई हिस्सों के साथ-साथ करीमगंज के लोगों को अपने अस्तित्व के साथ ही उनके नागरिक, मौलिक और संवैधानिक अधिकारों से वंचित किए जाने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। हमारी लड़ाई यह सुनिश्चित करने के लिए है कि लोग अपने बुनियादी मौलिक अधिकारों का दावा करने में सक्षम हों।”

विदेशी करार दिये गए कई लोगों की ओर से कानूनी लड़ाई में शामिल रहे एक प्रमुख वकील चौधरी ने कहा कि उन्होंने इस आधार पर संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) का विरोध किया था कि यह उन बंगाली हिंदुओं को सुरक्षा देने में सक्षम नहीं है जिनकी पड़ोसी बांग्लादेश से समय के साथ विस्थापित होकर बराक घाटी में एक बड़ी आबादी है।

उन्होंने पूछा, “एक बार जब कोई व्यक्ति सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करता है, तो उसे खुद को बांग्लादेशी घोषित करना होगा। आवेदन के बाद केंद्र सरकार नागरिकता दे भी सकती है और नहीं भी। अगर उन्हें नागरिकता नहीं दी गई तो उनका क्या होगा।”

चौधरी ने कहा, “नागरिकता से वंचित लोगों के लिए एकमात्र स्थान निरुद्ध शिविरों में होगा और वे वहां कितने समय तक रहेंगे, कोई नहीं जानता। बांग्लादेश के साथ न तो कोई संधि है और न ही उन्हें वापस भेजने का कोई अन्य प्रावधान है। सीएए बंगाली हिंदुओं के हितों के लिए हानिकारक है।”

मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा सहित भाजपा ने कहा है कि बंगाली हिंदुओं की नागरिकता और ‘डी’ या संदिग्ध मतदाताओं के मुद्दों को चुनाव के बाद छह महीने के भीतर हल किया जाएगा।

भाषा प्रशांत रंजन

रंजन

 

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