Congress President Election Mallikarjun Kharge :नईदिल्ली। कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे गांधी परिवार के वफादार और करीबी माने जाते हैं, आपको बता दें कि उनके बच्चों के नाम भी गांधी परिवार से प्रेरित हैं। राहुल, प्रियंक, प्रियदर्शिनी, जयश्री और मिलिंद उनके बच्चों के नाम हैं। खरगे की जीवनी लिखने वाले एचटी पोटे के अनुसार ये नाम गांधी परिवार के प्रति उनकी वफादारी से प्रेरित हैं। मल्लिकार्जुन खरगे 8 बार के विधायक, 2 बार के सांसद और राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। जो अब कांग्रेस के नए अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं।
कर्नाटक के ‘अजेय सरदार’ खरगे को अगर उनकी अडिग वफादारी के लिए कांग्रेस के ‘प्रथम परिवार’ का ‘कटप्पा’ कहा जाए तो गलत नहीं होगा। हालाकि कांग्रेस में गांधी परिवार के लिए जुनून की कहानियां कम नहीं हैं। कभी किसी ने इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी के विरोध में विमान का अपहरण लिया था तो किसी ने सोनिया गांधी के लिए अपनी ही कनपटी पर पिस्तौल तान दी थी। ऐसे अन्य उदाहरण भी हैं जब कांग्रेसियों ने गांधी परिवार से वफादारी जताने के लिए तमाम हदें पार कर दीं। अब बात मल्लिकार्जुन खरगे की उनकी वफादारी में हल्कापन नहीं है। उन्होंने तो अपने बच्चों का नाम ही ऐसा रखा, जिसमें गांधी परिवार के प्रति प्रेम
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बच्चों का नाम भी गांधी परिवार से प्रेरित है। खरगे के बेटे-बेटियों के नाम पर नजर डालिए- प्रियंक, राहुल, प्रियदर्शिनी, जयश्री और मिलिंद। प्रियंक जहां प्रियंका गांधी के नाम से प्रेरित प्रतीत होता है तो राहुल नाम तो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का ही है। इसी तरह प्रियदर्शिनी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम था।
खरगे की जीवनी लिखने वाले एचटी पोटे के अनुसार कांग्रेस नेता के बच्चों का नाम गांधी परिवार के प्रति उनकी वफादारी से प्रेरित है। हालांकि, खरगे के करीबी मित्र इकबाल अहमद सरादगी इसकी दूसरी वजह बताते हैं। उन्होंने कहा कि खरगे के बच्चों का नाम आंबेडकर और बुद्ध की तरफ उनके वैचारिक झुकाव को शो करता है।
मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाते हैं। वह 1971 से 2008 तक लगातार 9 बार कर्नाटक विधानसभा के मेंबर रहें। इस दौरान वह कर्नाटक की कांग्रेस सरकारों में राज्यमंत्री से लेकर कैबिनेट मंत्री तक का पदभार संभाला। इस दौरान कई अहम विभागों की जिम्मेदारी भी संभाली। 2009 में पहली बार गुलबर्गा सीट से लोकसभा चुनाव में उतरे तो वहां भी जीत का सिलसिला जारी रहा। मनमोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए।
2014 में वह दोबारा लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए लेकिन केंद्र की सत्ता से कांग्रेस बाहर हो गई। तब कांग्रेस ने उन्हें लोकसभा में अपना नेता बनाया। 2019 में खरगे लोकसभा चुनाव हार गए। पहली बार वह किसी चुनाव में हारे। लेकिन कांग्रेस ने उन्हें जल्द ही न सिर्फ राज्यसभा में भेज दिया बल्कि गुलाम नबी आजाद के रिटायर होने के बाद उन्हें सदन में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी में बैठा दिया। अब यह कद्दावर दलित नेता कांग्रेस की कमान संभालने के लिए निर्वाचित कर लिया गया है।
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