उपभोक्ता आयोग : अवसंरचना विकास की निधि खर्च नहीं होने पर न्यायालय ने जताई चिंता |

उपभोक्ता आयोग : अवसंरचना विकास की निधि खर्च नहीं होने पर न्यायालय ने जताई चिंता

उपभोक्ता आयोग : अवसंरचना विकास की निधि खर्च नहीं होने पर न्यायालय ने जताई चिंता

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:33 PM IST, Published Date : April 12, 2022/8:03 pm IST

नयी दिल्ली, 12 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को जिला और राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए निर्धारित धन खर्च नहीं होने पर चिंता व्यक्त की।

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि गैर-न्यायिक कर्मचारियों के पद सृजित करने की प्रक्रिया दो महीने में पूरी की जानी चाहिए, ऐसा नहीं होने पर संबंधित सचिव अदालत में मौजूद रहेंगे।

न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि केंद्रीय वित्त पोषण के उपयोग के लिए राज्यों द्वारा योजना बनाने की आवश्यकता है ताकि धन बिना उपयोग के न पड़ा रहे।

पीठ ने कहा, “नोडल अधिकारी ने केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई धनराशि से उत्पन्न कुछ मुद्दों को हरी झंडी दिखाई है। आठ नोडल अधिकारियों के साथ बैठकें की गई हैं। यह बताया गया है कि राज्य और जिला उपभोक्ता आयोगों के लिए भवनों के निर्माण के लिए धन 50-50 के अनुपात से उपलब्ध कराया जा रहा है।

पीठ ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) जमा करने में कुछ अड़चन आ रही है जिसके निराकरण की आवश्यकता है। हालांकि नोडल अधिकारी ने कहा है कि राज्य कुल मिलाकर काम कर रहे हैं… हम एक बार फिर यूसी जमा करने के महत्व पर जोर देते हैं ताकि राज्य सरकारों द्वारा धन उपलब्ध हो सके और उसका उपयोग किया जा सके।”

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि राज्य और जिला आयोगों में अध्यक्ष और सदस्यों के पदों की रिक्तियां उपयुक्त उम्मीदवारों की कमी और मानदंडों के अनुसार योग्य व्यक्तियों की अनुपस्थिति के कारण है।

न्याय मित्र के रूप में नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने पीठ को सूचित किया कि कुछ राज्य और केंद्र शासित प्रदेश कम मामलों के लंबित होने के कारण रजिस्ट्रार और संयुक्त रजिस्ट्रार के पद सृजित करने से छूट की मांग कर रहे हैं।

पीठ ने कहा, “इस संबंध में, राज्य न्याय मित्र के समक्ष कारण की वास्तविकता का पता लगाने के लिए आंकड़े प्रस्तुत कर सकते हैं। जब तक छूट की मांग नहीं की जाती है तब तक हम पदों की गैर-मंजूरी की सराहना नहीं करते हैं। प्रक्रिया को दो महीने में पूरा किया जाना चाहिए, ऐसा नहीं होने पर संबंधित सचिव अदालत में उपस्थित रहेंगे।”

शीर्ष अदालत ‘जिलों और राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों / कर्मचारियों की नियुक्ति में सरकारों की निष्क्रियता और पूरे भारत में अपर्याप्त बुनियादी ढांचा’ पर एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी।

भाषा

प्रशांत उमा

उमा

 

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