नयी दिल्ली, 11 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से ‘‘व्यापक रिपोर्ट’’ मांगी है और कहा कि उसे दूसरी एजेंसियों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए क्योंकि उसके पास काफी शक्तियां हैं।
एनजीटी एक मामले की सुनवाई कर रहा था जहां उसने दिल्ली-एनसीआर में खराब होती वायु गुणवत्ता के संबंध में एक अखबार की खबर पर स्वत: संज्ञान लिया था।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि पूर्व में अधिकरण ने सीएक्यूएम को ‘‘सभी जिलों (दिल्ली-एनसीआर के) को कवर करने वाली एक विशिष्ट योजना, निर्धारित लक्ष्यों के साथ’’ के संदर्भ में अपनी कार्रवाई रिपोर्ट को संशोधित करने का निर्देश दिया था।
आयोग ने दो जनवरी को सारणीबद्ध रूप में एक रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कार्रवाई बिंदुओं, इसकी लक्षित समय-सीमा और नोडल कार्यान्वयन एजेंसी का उल्लेख किया गया।
पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और अरुण कुमार त्यागी, विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद भी शामिल थे। पीठ ने वायु प्रदूषण पर नियंत्रण लगाने की योजना को लागू करने के लिए जिम्मेदार दिल्ली, पंजाब और हरियाणा सरकारों, उनके विभागों और पुलिस बलों जैसी विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों के बारे में आयोग के वकील की दलीलों पर भी गौर किया।
पीठ ने कहा कि सीएक्यूएम की रिपोर्ट से पता चलता है कि उसने ‘‘आयोग को दी गई शक्तियों की परवाह किए बिना, विभिन्न एजेंसियों पर जिम्मेदारी डाल दी।’’ पीठ ने सीएक्यूएम से चार सप्ताह के भीतर एक व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। मामले को आगे 23 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
भाषा आशीष माधव
माधव
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