नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी में नारको-विश्लेषण परीक्षण केंद्र के जल्द शुरू होने की उम्मीद है और यहां की फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) के छह विशेषज्ञों ने हाल में गुजरात में सप्ताह भर लंबा प्रशिक्षण प्राप्त किया है ताकि इसमें शामिल तकनीकों से वे रू-ब-रू हो सकें।
रोहिणी के एफएसएल के अधिकारियों ने रविवार को बताया कि अहमदाबाद से लौटने के बाद टीम ने यहां बाबा साहेब आम्बेडकर अस्पताल में चिकित्सा विशेषज्ञों की निगरानी में दो छद्म अभ्यास किए हैं जहां नारको-विश्लेषण जांच केंद्र स्थापित किया गया है।
उन्होंने बताया कि इस केंद्र को बहुत पहले खुल जाना था पर विभिन्न कारणों से ऐसा नहीं हो सका।
अधिकारियों ने देरी के लिए महामारी को एक कारण बताते हुए कहा कि आने-जाने पर रोक थी जबकि प्रशिक्षण संस्थान बंद थे।
उन्होंने कहा कि स्थिति सुधरने पर उनके विशेषज्ञों को प्रशिक्षण के लिए भेजा गया था और केंद्र के जल्द शुरू होने की उम्मीद है।
एफएसएल की निदेशक दीपा वर्मा ने कहा, “ हम प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं और हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र जल्द ही शुरू हो जाएगा। इसके लिए, हमने अपने विशेषज्ञों के लिए एक पूर्ण प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किया है।”
उन्होंने बताया, “ हमारी टीम को हाल ही में अहमदाबाद भेजा गया जहां उन्होंने प्रशिक्षण लिया और सत्र में मिली सूचना के आधार पर हमारे विशेषज्ञ खुद को तैयार कर रहे हैं।”
नारको विश्लेषण परीक्षण केंद्र स्थापित करने का निर्देश दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2019 में एक व्यक्ति की बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया था। इस व्यक्ति ने अदालत में याचिका दायर कर चार अगस्त 2018 से लापता अपने साढ़े चार साल के बच्चे का पता लगाने की गुहार की थी।
अदालत यह जानकार हैरान हो गई थी कि राष्ट्रीय राजधानी में ऐसा कोई केंद्र नहीं है और नारको विश्लेषण परीक्षण गुजरात में कराना होता है। इसके बाद आप सरकार को यहां केंद्र स्थापित करने का निर्देश दिया।
अक्टूबर 2020 में, आप सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि यह केंद्र रोहिणी के डॉ बाबा साहेब आम्बेडकर अस्पताल में स्थापित किया गया है, लेकिन यह महामारी के कारण शुरू नहीं हो सका।
डॉ बाबा साहेब आम्बेडकर अस्पताल में एनेस्थेटिस्ट डॉ नवीन कुमार ने संपर्क करने पर बताया, “ अस्पताल एफएसएल टीम को अपने ऑपरेशन थिएटर की पेशकश कर रहा है जहां वे नारको-विश्लेषण परीक्षण कर सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “ डॉक्टरों की भूमिका इंजेक्शन के माध्यम से दवाई देने और नारको विश्लेषण परीक्षण के दौरान मरीज के स्वास्थ्य की निगरानी करने की होती है।”
अपराध दृश्य प्रबंधन के प्रभारी संजीव गुप्ता ने कहा कि नारको परीक्षण करने के लिए संदिग्ध की सहमति की जरूरत होती है।
उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियां इस परीक्षण का इस्तेमाल तहकीकात के लिए कर रही हैं और इसमें सामने आने वाले तथ्य पेचीदा मामले सुलाझाने में मददगार होते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि नारको विश्लेषण परीक्षण में संदिग्ध को एक दवाई इंजेक्शन के माध्यम से लगाई जाती है और वह कृत्रिम निद्रावस्था में चला जाता और फिर उससे सवाल किए जाते हैं और उम्मीद होती है कि वह सच्ची जानकारी देगा।
उन्होंने बताया कि सवालों और जवाबों को कैमरे में दर्ज किया जाता है।
भाषा नोमान नरेश
नरेश
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