बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए : उपराष्ट्रपति |

बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए : उपराष्ट्रपति

बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए : उपराष्ट्रपति

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:07 PM IST, Published Date : May 1, 2022/3:24 pm IST

नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मातृभाषा में शिक्षा के महत्व पर बल देते हुए रविवार को कहा कि बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए।

नायडू ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के शताब्दी समारोह के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा प्रणाली को ‘हमारी संस्कृति’ पर भी ध्यान देना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘यदि बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा उनकी मातृभाषा में दी जाए तो वे उसे आसानी से समझ सकेंगे। लेकिन, यदि प्रारंभिक शिक्षा किसी अन्य भाषा में दी जाती है, तो पहले उन्हें वह भाषा सीखनी होगी और फिर वे समझेंगे।’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बच्चों को पहले अपनी मातृभाषा सीखनी चाहिए और फिर दूसरी भाषाएं सीखनी चाहिए।

नायडू ने कहा, ‘सभी को अपनी मातृभाषा में प्रवीण होना चाहिए और उससे संबंधित मूल विचारों का बोध होना चाहिए।’

दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलाधिपति उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू शताब्दी समारोह कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए जबकि शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान विशिष्ट अतिथि थे।

उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर सौ रुपये का एक स्मारक सिक्का, एक स्मारक शताब्दी टिकट और दिल्ली विश्वविद्यालय के अब तक के सफर को प्रदर्शित करने वाली एक स्मारक शताब्दी पुस्तिका भी जारी की।

नायडू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शनिवार को एक कार्यक्रम में की गयी उस टिप्पणी का भी जिक्र किया, जिसमें अदालतों में स्थानीय भाषा के उपयोग को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया था।

उन्होंने कहा, ‘कल प्रधानमंत्री मोदी ने अदालतों में स्थानीय भाषाओं की आवश्यकता के बारे में भी बात की थी। केवल अदालतें ही क्यों, इसे हर जगह लागू किया जाना चाहिए।’

उपराष्ट्रपति ने दिल्ली विश्वविद्यालय को 100 साल पूरे करने पर बधाई भी दी।

नायडू ने कहा, ‘मैं इस विश्वविद्यालय की उन्नति, विकास और प्रगति के लिए तथा इसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक बनाने के लिए सभी लोगों को बधाई देना चाहता हूं।’

नायडू ने इस अवसर पर स्नातक पाठ्यचर्या की रूपरेखा-2022 (हिंदी संस्करण) और स्नातक पाठ्यचर्या की रूपरेखा- 2022 (संस्कृत संस्करण) भी जारी किया।

इसके अलावा विश्वविद्यालय द्वारा हासिल की गईं उपलब्धियों को दर्शाने वाली पुस्तिका ‘दिल्ली विश्वविद्यालय:एक झलक’ भी जारी की गयी।

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने से छात्रों की रचनात्मकता को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।

प्रधान ने कहा, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा के महत्व पर जोर दिया गया है। स्थानीय भाषा छात्रों की रचनात्मकता को दिशा देने में मदद करती है।’

इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह ने कहा, ‘हमने अकादमिक उत्कृष्टता के 100 साल पूरे कर लिए हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय बहुत अच्छा कर रहा है। हम भारतीयों के जीवन में अपना योगदान देना जारी रखेंगे।’

भाषा रवि कांत नेत्रपाल

नेत्रपाल

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)