पूर्व न्यायाधीशों, नौकरशाहों ने खुले पत्र में मोदी सरकार का बचाव किया, आलोचकों पर प्रहार |

पूर्व न्यायाधीशों, नौकरशाहों ने खुले पत्र में मोदी सरकार का बचाव किया, आलोचकों पर प्रहार

पूर्व न्यायाधीशों, नौकरशाहों ने खुले पत्र में मोदी सरकार का बचाव किया, आलोचकों पर प्रहार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:46 PM IST, Published Date : April 30, 2022/9:23 pm IST

नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) ‘नफरत की राजनीति’ पर पूर्व नौकरशाहों के एक समूह द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखे जाने के कुछ दिनों के बाद पूर्व न्यायाधीशों और नौकरशाहों के एक अन्य समूह ने उक्त पत्र की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वह पत्र राजनीति से प्रेरित तथा मोदी सरकार के विरुद्ध था, जो सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ समय-समय पर चलाये जाने वाले अभियान का हिस्सा है, ताकि सरकार के खिलाफ जनमत बनाया जा सके।

खुद को ‘कंसर्ण्ड सिटिजन्स’ कहने वाले इस समूह ने कहा कि वह नहीं मानता है कि कंस्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप (सीसीजी) द्वारा मोदी को भेजा गया खुला पत्र ‘ईमानदारी से प्रेरित’ था। सीसीजी पूर्व नौकरशाहों के उस समूह का नाम है, जिसने पिछले दिनों खुला पत्र लिखा था।

उन्होंने भाजपा की हालिया चुनावी जीत का हवाला देते हुए कहा कि सीसीजी का यह पत्र जनता की उस राय के खिलाफ अपनी निराशा दूर करने का समूह का तरीका था, जो ‘मोदी के पीछे दृढ़ता से’ बनी हुई है।

सीसीजी द्वारा मोदी और अन्य भाजपा सरकारों की आलोचना करने वाले पत्र के उत्तर में लिखे गये इस खुले पत्र में आठ पूर्व न्यायाधीशों, 97 पूर्व नौकरशाहों और सशस्त्र बलों के 92 पूर्व अधिकारियों ने हस्ताक्षर किये हैं। इनमें सिक्किम उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली, पूर्व विदेश सचिवों- कंवल सिब्बल और शशांक और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख संजीव त्रिपाठी शामिल हैं।

गौरतलब है कि सीसीजी के खुले पत्र पर 108 पूर्व नौकरशाहों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे।

सीसीजी ने भाजपा के नियंत्रण वाली सरकारों पर भी ‘नफरत की राजनीति’ करने का आरोप लगाया था और इसे समाप्त करने का आग्रह किया था।

एक खुले पत्र में, सीसीजी ने कहा था, ‘‘हम देश में नफरत से भरे विनाश का उन्माद देख रहे हैं, जहां बलि वेदी पर न केवल मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य हैं, बल्कि स्वयं संविधान भी है।’’

जवाबी पत्र में, ‘कंसर्ण्ड सिटिजन्स’ समूह ने सीसीजी के पूर्व नौकरशाहों को ‘राज्य सत्ता के इस्तेमाल के झूठे आख्यान की साजिश रचने’ से मना किया।

नये पत्र में पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा पर कथित ‘चुप्पी’ को लेकर भी सवाल उठाया गया है।

नये पत्र में आरोप लगाया गया है कि दूसरे समूह का असली इरादा “हिंदू त्योहारों के दौरान शांतिपूर्ण जुलूसों पर पूर्व नियोजित हमलों के खिलाफ एक विपरीत चलन को बढ़ावा देना है, चाहे वह राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात या नयी दिल्ली में हो।’’

इसने सीसीजी पर ‘दोहरे मानदंड’, ‘गैर-मुद्दों’ से एक मुद्दा बनाने और ‘विकृत सोच’ रखने का आरोप भी लगाया।

समूह ने आरोप लगाया, ‘‘सीसीजी का ‘अंतरराष्ट्रीय जगत का ध्यान आकर्षित करने के लिए वजनदार शब्दों का सहारा लेना, लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों की प्रायोजित निंदा करना’ हमारे समाज की अस्वस्थता थी।’’

इसने यह भी आरोप लगाया कि हिजाब और हलाल प्रमाणीकरण से संबंधित हालिया विवाद “निहित स्वार्थों” की देन था, जो भाजपा के तहत “मुस्लिम उत्पीड़न” और “हिंदू बहुसंख्यकवाद और हिंदू राष्ट्रवाद” की कथा को जीवित रखना चाहते थे।

इसमें दावा किया गया है, ‘‘इस तरह की कहानी को अंतरराष्ट्रीय लॉबी से मान्यता और प्रोत्साहन मिलता है, जो भारत की प्रगति को रोकना चाहते हैं।’’

नये पत्र में समूह ने कहा कि पूर्व नौकरशाहों ने अपने पत्र में जिन बातों का उल्लेख किया है, वे पश्चिमी मीडिया या पश्चिमी एजेंसियों के सरकार-विरोधी बयान का दोहराव मात्र हैं, जो सीसीजी के इरादे को प्रदर्शित करती हैं।

मोदी का बचाव करने वाले समूह ने कहा, ‘‘यह मुद्दों के प्रति उनके निंदक और गैर-सैद्धांतिक दृष्टिकोण को उजागर करता है।’’

उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा सरकार के तहत बड़ी सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में ‘‘स्पष्ट रूप से’’ कमी आई है, जिसकी जनता ने सराहना की है।

उसने कहा, ‘‘इसने (साम्प्रदायिक हिंसाा में कमी ने) सीसीजी जैसे समूह को साम्प्रदायिक हिंसा की छिटपुट घटनाओं को जरूरत से ज्यादा बड़ा करके दिखाने के लिए उकसाया है, जबकि कोई भी समाज इन घटनाओं को पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकता।’’

समूह ने सीसीजी को सलाह दी कि वह खुद को ‘निजी पक्षपात से मुक्त करे और कोई व्यावहारिक समाधान’ का प्रस्ताव करे।

भाषा

सुरेश माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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