किसान नेताओं ने एमएसीपी की कानूनी गारंटी के लिए अध्यादेश की मांग की |

किसान नेताओं ने एमएसीपी की कानूनी गारंटी के लिए अध्यादेश की मांग की

किसान नेताओं ने एमएसीपी की कानूनी गारंटी के लिए अध्यादेश की मांग की

:   Modified Date:  February 17, 2024 / 09:38 PM IST, Published Date : February 17, 2024/9:38 pm IST

(तस्वीरों के साथ जारी)

चंडीगढ़, 17 फरवरी (भाषा) केंद्रीय मंत्रियों के साथ अहम बैठक से एक दिन पहले किसान नेताओं ने केन्द्र सरकार से शनिवार को मांग की कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने के लिए अध्यादेश लेकर आए।

इसके अलावा भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) ने किसानों की मांग के समर्थन में शनिवार को हरियाणा में ट्रैक्टर मार्च निकाला जबकि भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) ने पंजाब में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन वरिष्ठ नेताओं के आवासों के बाहर धरना दिया।

किसान नेताओं और केन्द्रीय मंत्रियों के बीच रविवार को चौथे दौर की वार्ता होनी है। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित किसान संघों की विभिन्न मांगों पर जारी बातचीत में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। दोनों पक्षों के बीच इससे पहले आठ, 12 और 15 फरवरी को हुई बातचीत बेनतीजा रही थी।

किसान एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा कृषकों के कल्याण के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन तथा कर्ज माफी, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘‘न्याय’’, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा द्वारा आहूत ‘दिल्ली चलो’ मार्च के पांचवें दिन किसान पंजाब-हरियाणा सीमा के शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर डटे रहे।

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने केन्द्र सरकार से शनिवार को मांग की कि वह एमएसपी को कानूनी गारंटी देने के लिए अध्यादेश लाए।

पंधेर ने कहा कि केन्द्र के पास ‘‘राजनीतिक’’ निर्णय लेने का अधिकार है। उन्होंने कहा, ‘‘ अगर केन्द्र सरकार चाहे तो वह रातोंरात अध्यादेश ला सकती है। अगर सरकार किसानों के आंदोलन का कोई समाधान चाहती है तो उसे यह अध्यादेश लाना चाहिए कि वह एमएसपी पर कानून लागू करेगी, तब बातचीत आगे बढ़ सकती है।’’

पंधेर ने शंभू बॉर्डर पर संवाददाताओं से कहा कि जहां तक तौर तरीकों की बात है तो कोई भी अध्यादेश छह माह तक वैध होता है।

उन्होंने कहा कि जहां तक स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसा के अनुरूप ‘‘सी2 प्लस 50 प्रतिशत’’ की मांग है, तो सरकार ‘‘ए2 प्लस एफएल’’ फॉर्मूले के अनुसार कीमत दे रही है और ‘‘उसी फॉर्मूले के तहत अध्यादेश लाया जा सकता है।’’

पंधेर ने कृषि ऋण माफी के मुद्दे पर कहा कि सरकार कह रही है कि ऋण राशि का आकलन करना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार इस संबंध में बैंकों से आंकड़े एकत्र कर सकती है। यह इच्छाशक्ति की बात है।’’

पंधेर ने कहा, ‘‘ वे (केन्द्र) कह रहे हैं कि इस पर राज्यों से चर्चा करनी होगी। आप राज्यों को छोड़िए। आप केवल केन्द्र और राष्ट्रीकृत बैकों की बात करिए और इस पर निर्णय कीजिए कि किसानों के कर्ज कैसे माफ करने हैं।’’

उन्होंने कहा कि किसानों की अन्य मांगें भी अहम हैं।

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने भी कहा कि सरकार को ‘‘देश के लोगों को कुछ देने’’ के लिए एक अध्यादेश लाना चाहिए।

डल्लेवाल पंधेर के साथ मिलकर किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं।

डल्लेवाल ने कहा, ‘‘सरकार को इस इरादे से अध्यादेश लाना चाहिए कि यह तत्काल प्रभाव से लागू हो और छह महीने के भीतर इसे कानून में तब्दील किया जा सकता है और इसमें कोई समस्या नहीं है।’’

उन दावों के बारे में पूछे जाने पर कि सभी 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने के लिए भारी धनराशि की आवश्यकता होगी, डल्लेवाल ने कहा कि एक अध्ययन में सामने आया है कि इसके लिए 2.50 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता है।

डल्लेवाल ने दावा किया कि एक अन्य अध्ययन में कहा गया है कि केवल 36,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा,‘‘ अगर सरकार उत्पादकों और उपभोक्ताओं को गंभीर से ले और कॉर्पोरेट पर कम ध्यान दे तो समस्या का हल निकल आएगा।’’

डल्लेवाला ने कहा कि कृषि क्षेत्र 50 प्रतिशत रोजगार पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा,‘‘ सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र की 20 फीसदी हिस्सेदारी है और अगर कृषि क्षेत्र की जीडीपी में 20 फीसदी हिस्सेदारी है तो सरकार के लिए 2.50 लाख करोड़ रुपये देना क्यों मुश्किल है?’’

उन्होंने कहा कि सरकार अन्य देशों से दालें मंगाती है और अगर सरकार दाल जैसी फसलों पर एमएसपी की गारंटी देती है तो किसान उसका उत्पादन यहीं कर सकते हैं।

पंजाब के किसानों ने मंगलवार को दिल्ली के लिए मार्च शुरू किया था, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें हरियाणा के साथ पंजाब की सीमा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर रोक दिया। तब से प्रदर्शनकारी इन दो सीमा बिंदुओं पर डटे हुए हैं।

हरियाणा में गुरनाम सिंह चढ़ूनी के नेतृत्व वाले गुट ने प्रदर्शनकारी किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए कुरुक्षेत्र, यमुनानगर और सिरसा सहित कई स्थानों पर ट्रैक्टर मार्च निकाला।

कुरुक्षेत्र में, गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने पिहोवा में ट्रैक्टर मार्च का नेतृत्व किया। इसकी शुरुआत अनाज मंडी से हुई और कस्बे में मार्च निकाला गया। इस ट्रैक्टर मार्च में 150 से अधिक ट्रैक्टर शामिल हुए और प्रदर्शनकारी किसानों ने सरकार के खिलाफ तथा किसानों की एकता के पक्ष में नारे लगाए।

चढ़ूनी ने बाद में मीडिया से कहा कि वे पंजाब के आंदोलनकारी किसानों द्वारा उठाई गई मांगों का पूर्ण रूप से समर्थन करते हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों का समर्थन करने के लिए अपनी आगे की कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करने के लिए रविवार को कुरुक्षेत्र में कृषि संगठनों, श्रमिकों और सरपंच संघों की एक ‘महापंचायत’ आयोजित की जाएगी।

चढ़ूनी ने दावा किया कि ट्रैक्टर मार्च हरियाणा के लगभग सभी तहसील मुख्यालयों पर आयोजित किए गए।

पंजाब में भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) ने पटियाला में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, अबोहर में भाजपा की पंजाब इकाई के प्रमुख सुनील जाखड़ और बरनाला में पार्टी के वरिष्ठ नेता केवल सिंह ढिल्लों के आवास के बाहर धरना दिया।

बीकेयू (एकता उगराहां) रविवार को भी अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेगा।

बीकेयू (एकता उगराहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि अगली कार्रवाई पर फैसला करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक शनिवार शाम को होगी।

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में घोषणा की कि किसान अपनी मांगों को लेकर 21 फरवरी को उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड में धरना देंगे।

टिकैत ने यह भी बताया कि शनिवार को यहां सिसौली में हुई पंचायत ने एक प्रस्ताव पारित किया है जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा से सरकार द्वारा किसानों की मांगें नहीं माने जाने पर 26 और 27 फरवरी को दिल्ली तक ट्रैक्टर मार्च निकालने को कहा गया है।

तमिलनाडु में, तंजावुर रेलवे स्टेशन पर विभिन्न किसान संघों के लगभग 100 किसानों को शनिवार को उस समय गिरफ्तार कर लिया गया, जब उन्होंने ‘रेल रोको’ के तहत चोलन एक्सप्रेस के सामने प्रदर्शन करने की कोशिश की।

पंजाब के विभिन्न हिस्सों से करीब 200 महिलाएं भी शंभू बॉर्डर पर पहुंचीं।

प्रदर्शनकारियों और हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों के बीच शनिवार को किसी प्रकार के टकराव की कोई खबर नहीं आई। किसान नेताओं ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने को कहा है।

भाषा सिम्मी माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)