सरकार कर रही सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने की कोशिश: ईएसी-पीएम रिपोर्ट पर विपक्ष का निशाना |

सरकार कर रही सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने की कोशिश: ईएसी-पीएम रिपोर्ट पर विपक्ष का निशाना

सरकार कर रही सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने की कोशिश: ईएसी-पीएम रिपोर्ट पर विपक्ष का निशाना

:   Modified Date:  May 9, 2024 / 08:33 PM IST, Published Date : May 9, 2024/8:33 pm IST

नयी दिल्ली, नौ मई (भाषा) विपक्षी नेताओं ने बृहस्पतिवार को भाजपा पर उस रिपोर्ट को लेकर सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया जिसमें भारत में 1950 से 2015 के बीच हिंदुओं की आबादी घटने का दावा किया गया है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा और राजद नेता तेजस्वी यादव ने जनगणना नहीं कराने पर केंद्र सरकार की आलोचना की और कहा कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की रिपोर्ट ‘विवाद उत्पन्न कर वोट हासिल करने का प्रयास है।’

इस बीच, केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने संबंधित रिपोर्ट का इस्तेमाल कांग्रेस पर निशाना साधने के लिए किया और आरोप लगाया कि तुष्टीकरण की राजनीति के कारण देश में हिंदू आबादी कम हो गई।

रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर यादव ने कहा कि भाजपा नफरत फैलाने की कोशिश कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘2020-21 में जो जनगणना होनी थी, वह अब तक नहीं हुई है, यह 2024 है… उनका उद्देश्य केवल देश के लोगों को गुमराह करना और नफरत फैलाना है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एजेंडा है और भाजपा ने दस साल तक इस देश के लोगों को मूर्ख बनाया है तथा वह फिर से ऐसा करना चाहती है।”

राजा ने रिपोर्ट के समय पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘‘प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ऐसे समय में यह रिपोर्ट क्यों लेकर आई है जब देश में चुनाव हो रहा है? प्रधानमंत्री पहले से ही मुसलमानों के नाम पर लोगों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रहे हैं… वह ऐसे सभी मुद्दे उठा रहे हैं। लोगों को ऐसी रिपोर्ट से सावधान रहना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘यह 1950 से 2015 के बीच का अध्ययन है। श्री मोदी 2014 में सत्ता में आए। इस सरकार ने कोई जनगणना नहीं कराई है, कोविड के कारण मरने वालों का कोई विवरण नहीं दिया है। उन्होंने प्रवासी श्रमिकों, गरीबी पर कोई ब्योरा नहीं दिया। लेकिन यह डेटा कैसे एकत्र किया गया?’

बिहार की बेगूसराय सीट से चुनाव लड़ रहे केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री सिंह ने कहा कि कुछ लोग देश को गुमराह करना चाहते हैं, लेकिन सच्चाई छिप नहीं सकती।

सिंह ने दावा किया, ‘1947 में, हमारे यहां लगभग 88 प्रतिशत आबादी हिंदू थी, अब हम 70 प्रतिशत हैं। मुसलमान आठ प्रतिशत थे, अब सरकारी आंकड़े कहते हैं कि वे 15-16 प्रतिशत हैं, मैं कहूंगा कि वे 20 प्रतिशत हैं।’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘कांग्रेस ने इस देश को धर्मशाला बना दिया। 1971 में जो बांग्लादेशी घुसपैठिए आए, उन्होंने भारत और बिहार को रोहिंग्या, बांग्लादेशियों का अभयारण्य बना दिया… उन्हें वोट बैंक में बदल दिया गया, यह सनातन को खत्म करने की साजिश थी। अब वे पिछले दरवाजे से आरक्षण दे रहे हैं।”

सिंह ने दावा किया, ”हिंदू आबादी घट रही है, मुस्लिम आबादी बढ़ रही है… इससे पता चलता है कि आने वाले दिनों में वे भारत को इस्लामिक देश बनाना चाहते हैं।”

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 1950 से 2015 के बीच हिंदुओं की आबादी में 7.82 प्रतिशत की कमी आई है जबकि मुसलमानों की आबादी में 43.15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जिससे पता चलता है कि देश में विविधता को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल माहौल है।

‘धार्मिक अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी: एक राष्ट्रव्यापी विश्लेषण (1950-2015)’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की आबादी में जैन समुदाय के लोगों की हिस्सेदारी 1950 में 0.45 प्रतिशत थी जो 2015 में घटकर 0.36 प्रतिशत रह गई।

ईएसी-पीएम की सदस्य शमिका रवि के नेतृत्व वाली टीम द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया कि 1950 से 2015 के बीच बहुसंख्यक हिंदू आबादी की हिस्सेदारी में 7.82 प्रतिशत की कमी आई है जो संबंधित अवधि में 84.68 प्रतिशत से घटकर 78.06 प्रतिशत रह गई।

इसमें कहा गया कि 1950 में देश में मुसलमानों की आबादी 9.84 प्रतिशत थी और 2015 में बढ़कर यह 14.09 प्रतिशत हो गई।

भाषा

नेत्रपाल अविनाश

अविनाश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)