गुजरात नौका हादसे के संबंध में उच्च न्यायालय ने कहा, अनुबंध प्रदान करने के तरीके की जांच हो |

गुजरात नौका हादसे के संबंध में उच्च न्यायालय ने कहा, अनुबंध प्रदान करने के तरीके की जांच हो

गुजरात नौका हादसे के संबंध में उच्च न्यायालय ने कहा, अनुबंध प्रदान करने के तरीके की जांच हो

:   Modified Date:  April 15, 2024 / 10:58 PM IST, Published Date : April 15, 2024/10:58 pm IST

अहमदाबाद, 15 अप्रैल (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने वडोदरा में हरनी झील के विकास और रखरखाव के लिए एक कंपनी को दिए गए अनुबंध पर सोमवार को सवाल उठाया और कहा कि ठेका दिए जाने के संबंध में जांच की जानी चाहिए।

हरनी झील में 18 जनवरी को नौका डूबने से हुए हादसे में 12 छात्रों और दो शिक्षकों की मौत हो गई थी।

इस घटना पर स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध माई की खंडपीठ ने कहा कि जिस तरह से वडोदरा नगर निगम द्वारा ठेका दिया गया था, उसकी जांच की जानी चाहिए।

निगम के अनुसार, 30 साल की अवधि के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत लेकफ्रंट विकास परियोजना का अनुबंध ‘कोटिया प्रोजेक्ट्स’ को तीन लाख रुपये के मामूली वार्षिक भुगतान पर दिया गया था।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘तत्कालीन निगम आयुक्त द्वारा ठेका देने के तरीके और स्थायी समिति की भूमिका की जांच होनी है। यह बहुत ही गंभीर मामला है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘आपने एक व्यक्ति को कमाई करने के लिए शून्य दर पर संपत्ति दी, और फिर आपने उसे 2017 से आज तक ऐसा करने दिया। किसी ने कुछ नहीं किया। सभी निगम आयुक्त आये और चले गये। यह एक तरह से सार्वजनिक संपत्ति का पूर्ण दुरुपयोग है।’’

भाषा शफीक प्रशांत

प्रशांत

 

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