नयी दिल्ली, 26 मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सार्वजनिक ‘थिंक-टैंक’ सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) की उस याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है जो उसने एफसीआरए लाइसेंस रद्द करने के खिलाफ दायर की है।
न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने पिछले सप्ताह पारित एक आदेश में केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ संगठन की अपील पर नोटिस जारी किया और उसके वकील को दो सप्ताह में एक संक्षिप्त जवाब दाखिल करने का समय दिया।
आदेश में कहा गया है कि सरकार के वकील ने अपील का ‘जोरदार विरोध’ किया।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 10 जनवरी को भारत के आर्थिक हितों को प्रभावित करने और विकास परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों और कानूनी लड़ाई में सहायता के लिए विदेशी धन का कथित रूप से दुरुपयोग करने के लिए सीपीआर के विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) पंजीकरण को रद्द कर दिया।
जब किसी संगठन का एफसीआरए पंजीकरण रद्द या निलंबित किया जाता है, तो उसे विदेश या विदेशी दानदाताओं से कोई भी धन प्राप्त करने से रोक दिया जाता है। सार्वजनिक ‘थिंक-टैंक’ ने सरकार के कदम को ‘समझ से बाहर और अनुपातहीन’ करार दिया है।
सीपीआर का एफसीआरए लाइसेंस आखिरी बार 2016 में नवीनीकृत किया गया था और 2021 में नवीनीकरण होना था। सितंबर 2022 में आयकर विभाग द्वारा एक सर्वेक्षण किए जाने के बाद ‘थिंक-टैंक’ जांच के दायरे में आया। इसका एफसीआरए लाइसेंस फरवरी 2023 में 180 दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था जिसे बाद में 180 दिन के लिए बढ़ा दिया गया था।
सीपीआर ने पिछले साल अपने लाइसेंस के निलंबन को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की थी। हालांकि, केंद्र द्वारा एफसीआरए के तहत पंजीकरण प्रमाणपत्र रद्द करने का आदेश पारित करने के एक दिन बाद उसने यह याचिका वापस ले ली थी।
मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल को होगी।
भाषा अमित रंजन
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