अहमदाबाद, 23 मार्च (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने गुजरात विद्यापीठ के कुलपति राजेंद्र खिमानी को हटाने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के आदेश पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है।
न्यायमूर्ति बिरेन वैष्णव ने मंगलवार को अपने आदेश में कहा कि कुलपति के खिलाफ यूजीसी की नवंबर 2021 के प्रस्ताव के तहत कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। इस प्रस्ताव में खिमानी की नियुक्ति में प्रक्रियागत खामी की वजह से उन्हें हटाने को कहा गया है।
यूजीसी ने अहमदाबाद स्थित गुजरात विद्यापीठ के कुलाधिपति को कहा था कि वह कुलपति को तत्काल प्रभाव से हटाएं अन्यथा संस्थान के अनुदान को रोकने सहित दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि इस संस्थान की स्थापना वर्ष 1920 में महात्मा गांधी ने की थी और इसे डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्ज प्राप्त है।
इस आदेश के खिलाफ खिमानी ने उच्च न्यायालय का रुख किया है। उन्होंने याचिका में यूजीसी के फैसले को ‘‘अवैध और मनमाना’ करार देते हुए इसे रद्द करने का अनुरोध किया है।
उल्लेखनीय है कि यूजीसी की समिति ने खिमानी की विश्वविद्यालय के कुलपति के तौर पर नियुक्ति की जांच की थी और पाया था कि नियुक्ति के दौरान प्रक्रियागत खामियां हुई हैं।
यूजीसी की तथ्य अन्वेषण समिति ने अलग से पाया कि खिमानी वर्ष 2004 से 2009 तक संस्थान के रजिस्ट्रार रहने के दौरान प्रशासनिक और वित्तीय मामलों में भी खामी के लिए जिम्मेदार हैं।
अदालत ने इस मामले में प्रतिवादी यूजीसी और गुजरात विद्यापीठ को नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई पांच अप्रैल के लिए टाल दी।
भाषा धीरज अनूप
अनूप
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अपनी ही बंदूक की गोली से सीआईएसएफ जवान की मौत
12 mins ago