उच्च न्यायालय ने एनजीओ ऑक्सफैम इंडिया की आईटी पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही पर रोक लगाई |

उच्च न्यायालय ने एनजीओ ऑक्सफैम इंडिया की आईटी पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही पर रोक लगाई

उच्च न्यायालय ने एनजीओ ऑक्सफैम इंडिया की आईटी पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही पर रोक लगाई

:   Modified Date:  August 13, 2023 / 07:43 PM IST, Published Date : August 13, 2023/7:43 pm IST

नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने गैर- सरकारी संगठन ऑक्सफैम इंडिया के खिलाफ आयकर पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।

अदालत ने आयकर विभाग को नोटिस जारी किया है और उससे एनजीओ की याचिका पर जवाब मांगा है।

ऑक्सफैम ने आयकर विभाग की ओर से उसे जारी किये गये नोटिस एवं आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।

रिकॉर्ड के अनुसार, सात सितंबर, 2022 को इस एनजीओ का आयकर विभाग द्वारा सर्वे किया गया, फलस्वरूप वित्त वर्ष 2016-17 के लिए पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया शुरू की गयी तथा इस साल 29 मार्च को ऑक्सफैम को आयकर विभाग का नोटिस जारी किया गया।

न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति गिरीश कठपलिया की पीठ ने कहा, ‘‘छह सप्ताह के अंदर प्रति-हलफनामा दाखिल किया जाए। जवाबी दावा, यदि कोई हो तो, अगली सुनवाई की तारीख से कम से कम पांच दिन पहले दाखिल किया जाए। इस मामले को अगली सुनवाई के वास्ते 22 नवंबर, 2023 के लिए सूचीबद्ध किया जाए।’’

पीठ ने कहा, ‘‘इस बीच, अदालत के अगले आदेश तक पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही पर स्थगन रहेगा।’’

एनजीओ को आयकर अधिनियम के तहत 29 मार्च को नोटिस जारी किया गया था, जिसके बाद इस आधार पर याचिकाकर्ता के खिलाफ पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया शुरू की गयी कि याचिकाकर्ता वाद गतिविधियों (मुकदमेबाजी) में कथित रूप से शामिल है और यह विदेशी चंदा (विनियमन) अधिनियम की धारा 8(1) का उल्लंघन है।

एनजीओ पर यह भी आरोप लगा कि उसने विदेशी नागरिकों से संदिग्ध चंदा लिया और वह भावी परियोजनाओं के वास्ते अग्रिम राशि के रूप में मिले 15.09 करोड़ रुपये को राजस्व के तौर पर स्वीकार करने में विफल रहा।

एनजीओ के वकील ने दलील दी कि आयकर अधिकारियों ने उसके मुवक्किल के साथ सर्वे रिपोर्ट साझा नहीं की। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसपर आरोप लगाया गया है कि विदेशी नागरिकों से उसे मिला चंदा संदिग्ध है, लेकिन यह गलत धारणा पर आधारित है क्योंकि उसने चंदा देने वालों के नाम समेत उनका पूरा ब्योरा दे दिया था।

उसने यह भी कहा कि मूल्यांकन अधिकारी का यह कथन कि 15.09 करोड़ को आय के रूप में स्वीकार किया जाए, पूरी तरह गलत धारणा पर आधारित है, क्योंकि यह तो अग्रिम राशि थी जिसका भावी वस्तुओं के लिए उपयोग किया जाना था, न कि यह ऐसी आय थी जो संबंधित अवधि की कमाई गई थी।

भाषा राजकुमार सुरेश

सुरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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