हिजाब इस्लाम में पसंद या नापसंद का मामला नहीं है, बल्कि दायित्व है: जायरा वसीम |

हिजाब इस्लाम में पसंद या नापसंद का मामला नहीं है, बल्कि दायित्व है: जायरा वसीम

हिजाब इस्लाम में पसंद या नापसंद का मामला नहीं है, बल्कि दायित्व है: जायरा वसीम

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:56 PM IST, Published Date : February 20, 2022/8:53 pm IST

श्रीनगर/मुंबई, 20 फरवरी (भाषा) ‘दंगल’ फिल्म से मशहूर हुईं पूर्व अभिनेत्री जायरा वसीम ने हिजाब विवाद को लेकर अपनी मायूसी जाहिर करते हुए कहा कि इस्लाम में हिजाब पसंद या नापसंद का मामला नहीं है, बल्कि दायित्व है तथा शिक्षा और हिजाब के बीच चयन करना अन्यायपूर्ण है।

हिजाब को लेकर विवाद पिछले महीने कर्नाटक के उडुपी जिले से शुरू हुआ, जहां सरकारी पीयू कॉलेज ने निर्धारित वर्दी का उल्लंघन बताते हुए हिजाब पहनकर आईं छह छात्राओं को कक्षाओं में प्रवेश देने से इनकार किया।

वसीम ने सोशल मीडिया पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट लिखा है जिसे उन्हेंने ट्विटर व इंस्टाग्राम के अपने पेज पर साझा किया है और हिजाब को लेकर अपनी राय रखी है। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता पूर्व अभिनेत्री ने कहा कि हिजाब कोई विकल्प नहीं है बल्कि इस्लाम में एक दायित्व है।

वसीम ने कहा कि जो महिला हिजाब पहनती है, वह उस अल्लाह की ओर से सौंपे गए दायित्व को पूरा करती है, जिससे वह प्यार करती है और जिसे उसने खुद को समर्पित किया है।

उन्होंने 2019 में अभिनय की दुनिया को छोड़ दिया था क्योंकि यह उनके धर्म के आड़े आ रहा था। वसीम (21) ने कहा कि वह महिला होने के नाते विनम्रता और कृतज्ञता से हिजाब पहनती हैं लेकिन वह उनसे खफा हैं जो महिलाओं को हिजाब पहनने की वजह से प्रताड़ित करते हैं और उन्हें अपनी धार्मिक प्रतिबद्धता का पालन करने से रोकते हैं।

पूर्व अभिनेत्री ने कहा कि एक ‘एजेंडा’ खड़ा किया जा रहा है जिसके तहत महिलाओं से कहा जा रहा है कि वे हिजाब या शिक्षा के बीच किसी एक को चुनें। उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं से पक्षपात किया जा रहा है और एक ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है, जहां उन्हें हिजाब या शिक्षा के बीच किसी एक को चुनना होगा जो पूरी तरह अन्याय है।

वसीम ने कहा, ‘‘आप महिलाओं को एक खास विकल्प को अपनाने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहे हैं जो आपके एजेंडे के लिए फायदेमंद हो और जब वे आपके एजेंडे में फंस जाती हैं तो आप उनकी आलोचना करते हैं।’’

वसीम ने कहा कि उन्हें अलग तरीके से चयन करने के लिए प्रोत्साहित करने का कोई और विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि यह उन लोगों के साथ पक्षपात नहीं तो क्या है जो इसकी पुष्टि करते हैं और इसके समर्थन में दिखावा कर रहे हैं? वसीम ने कहा कि वह दुखी इस बात से हैं कि मुद्दे को सशक्तिकरण का नाम दिया जा रहा है।

भाषा नोमान नरेश आशीष

आशीष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)