हैदराबाद दुष्कर्म-हत्या : पुलिस ने ‘जानबूझकर’ गोली चलाई, मुठभेड़ की बात मनगढ़ंत: आयोग |

हैदराबाद दुष्कर्म-हत्या : पुलिस ने ‘जानबूझकर’ गोली चलाई, मुठभेड़ की बात मनगढ़ंत: आयोग

हैदराबाद दुष्कर्म-हत्या : पुलिस ने ‘जानबूझकर’ गोली चलाई, मुठभेड़ की बात मनगढ़ंत: आयोग

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:46 PM IST, Published Date : May 20, 2022/10:39 pm IST

हैदराबाद/नयी दिल्ली, 20 मई (भाषा) हैदराबाद में दिसंबर 2019 में एक महिला पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में चार संदिग्धों की मुठभेड़ में मौत के सिलसिले में गठित तीन सदस्यीय आयोग ने कहा है कि पुलिस कर्मियों ने ‘जानबूझकर’ गोली चलाई थी और पुलिस द्वारा रखा गया पूरा पक्ष ‘‘मनगढ़ंत’’ व ‘‘अविश्वसनीय’’ था।

उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश वी. एस. सिरपुरकर की अध्यक्षता वाले आयोग ने सिफारिश की कि मुठभेड़ में शामिल 10 पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा चलना चाहिए। आयोग ने यह भी कहा कि उसका मानना है कि मृत्यु के समय संदिग्धों में से तीन नाबालिग थे।

आयोग ने कहा कि सभी दस पुलिस कर्मियों पर धारा 302 (हत्या) आर/डब्ल्यू 34 आईपीसी, 201 (सबूत गायब करना) आर/डब्ल्यू 302 आईपीसी और 34 आईपीसी के तहत अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जाना चाहिए, क्योंकि उनमें से प्रत्येक द्वारा की गई कार्रवाई का साझा मकसद संदिग्धों को मारना था। पुलिस की तरफ से इसपर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।

उच्चतम न्यायालय को सौंपी गई आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है, ”हमारी राय में, आरोपियों को जानबूझकर मौत के घाट उतारने के इरादे और इस सोच के साथ गोली मार दी गई थी कि गोली लगने से संदिग्धों की मौत हो जाएगी।”

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि मृतकों को सभी चोटें कमर के ऊपर के महत्वपूर्ण अंगों पर हैं और गोली के प्रवेश के सभी घाव सामने की तरफ और बाहर निकलने के घाव पीछे की तरफ हैं।

आगे क्या प्रक्रिया होनी चाहिये, इसके बारे में कुछ सिफारिशें करते हुए आयोग ने कहा, ”जिस तरह मॉब लिंचिंग अस्वीकार्य है, उसी तरह तत्काल न्याय का कोई विचार भी अस्वीकार्य है। हर समय कानून का शासन कायम होना चाहिए। अपराध के लिए सजा केवल कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया द्वारा होनी चाहिए।”

उच्चतम न्यायालय द्वारा तेलंगाना सरकार के दस्तावेजों को बंद लिफाफे में रखने के अनुरोध को खारिज किए जाने के कुछ समय बाद शुक्रवार को आयोग की 387 पन्नों की रिपोर्ट सार्वजनिक की गई।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा, ‘‘हम आयोग सचिवालय को दोनों पक्षों को रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध कराने का निर्देश देते हैं।’’ न्यायालय ने मामले को आगे की कार्रवाई के लिये उच्च न्यायालय को स्थानांतरित कर दिया।

पीठ ने कहा, ‘‘यह (रिपोर्ट) मुठभेड़ मामले से संबद्ध है। इसमें यहां रखने जैसी कोई बात नहीं है। आयोग ने किसी को दोषी पाया है। हम मामले को उच्च न्यायालय के पास भेजना चाहते हैं। हमें मामले को वापस उच्च न्यायालय के पास भेजना पड़ेगा, हम इस मामले की निगरानी नहीं कर सकते। एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी गयी है। सवाल यह है कि क्या उचित कार्रवाई की जाए। उन्होंने कुछ सिफारिशें की हैं।’’

साइबराबाद पुलिस ने दावा किया कि 27 नवंबर 2019 को महिला पशु चिकित्सक का अपहरण कर उससे दुष्कर्म किया गया तथा बाद में उसकी हत्या कर दी गयी। पुलिस ने दावा किया था कि आरोपियों ने महिला का शव जला दिया था।

चारों आरोपियों मोहम्मद आरिफ, चिंटाकुंटा चेन्नाकेश्वुलु, जोलु शिवा और जोलु नवीन को दो दिन बाद गिरफ्तार किया गया था।

चार संदिग्धों को पुलिस ने 6 दिसंबर को यहां चटनपल्ली में उसी राजमार्ग पर कथित मुठभेड़ में मार गिराया था, जहां 25 वर्षीय पशु चिकित्सक का जला हुआ शव मिला था।

पुलिस चारों आरोपियों को मौके पर पशु चिकित्सक का फोन, घड़ी और मामले से संबंधित अन्य सामान की बरामदगी के लिये लेकर गई थी।

साइबराबाद पुलिस ने कहा था कि इस दौरान दो आरोपियों ने मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों के हथियार छीनने के बाद पुलिस पर गोलियां चलाईं, इसके अलावा बाद में पत्थरों और लाठियों से हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप दो पुलिसकर्मी घायल हो गए। इसके बाद पुलिस को जवाबी कार्रवाई करते हुए गोली चलानी पड़ी।

चारों संदिग्धों के परिजनों ने “फर्जी” मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी।

जोलू शिवा के पिता ने कहा, “हमने पहले आयोग को बताया था कि वे एक फर्जी मुठभेड़ में मारे गए थे। हम कहते रहे हैं कि यह एक फर्जी मुठभेड़ थी।”

मुठभेड़स्थल के आसपास के गांवों ने “त्वरित न्याय” की बात करते हुए पुलिसकर्मियों पर फूल बरसाए थे।

आयोग ने रिपोर्ट में कहा है कि दो संदिग्धों के पुलिस पर कीचड़ और मिट्टी फेंकने, पुलिस से हथियार छीनने और अंधाधुंध गोलीबारी करने के बारे में पुलिस के बयान में काफी विसंगतियां हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि सुरक्षित गृह से लेकर चटनपल्ली में हुई घटना तक का पुलिस दल का पूरा बयान “मनगढ़ंत” है। संदिग्धों के लिए पुलिस के हथियार छीनना असंभव था और वे आग्नेयास्त्रों को नहीं चला सकते थे। इसलिए, पूरा बयान अविश्वसनीय है।

पुलिस का दावा था कि संदिग्ध भागने की कोशिश कर रहे थे।

भाषा

प्रशांत नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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