कर्नाटक सरकार वादे पूरे नहीं कर सकती तो केंद्र के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगा रही है : भाजपा |

कर्नाटक सरकार वादे पूरे नहीं कर सकती तो केंद्र के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगा रही है : भाजपा

कर्नाटक सरकार वादे पूरे नहीं कर सकती तो केंद्र के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगा रही है : भाजपा

:   Modified Date:  February 7, 2024 / 06:24 PM IST, Published Date : February 7, 2024/6:24 pm IST

नयी दिल्ली, सात फरवरी (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के इस दावे को लेकर बुधवार को उसकी आलोचना की कि राज्य को केंद्र से उसके योगदान के अनुपात में धनराशि नहीं मिल रही है। पार्टी ने यह आरोप भी लगाया कि कर्नाटक सरकार का तर्क ना सिर्फ संघवाद के खिलाफ है बल्कि ‘राष्ट्रविरोधी’ भी है।

कर्नाटक से भाजपा के कई सांसदों ने राजधानी स्थित दिल्ली मुख्यालय में उस वक्त एक संवाददाता सम्मेलन में यह आरोप लगाए जब मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने राज्य को धन के आवंटन में केंद्र के कथित भेदभाव के खिलाफ जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया।

लोकसभा सदस्य तेजस्वी सूर्या ने मुख्यमंत्री पर निराधार और झूठे आरोप लगाने का आरोप लगाया। उन्होंने यह दावा भी किया कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनावों के दौरान ऐसे अवास्तविक वादे किए थे जिन्हें वह पूरा नहीं कर सकती ।

सूर्या ने कहा कि कांग्रेस ने चुनाव से पहले गरीबों को 10 किलोग्राम मुफ्त चावल देने का वादा किया था लेकिन सत्ता में आने के बाद यह एहसास हुआ कि राज्य पर्याप्त चावल की खरीद नहीं कर सकता, इसलिए उसने केंद्र सरकार पर दोष मढ़ना शुरु कर दिया।

उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने कथित तौर पर कहा था कि राज्य के पास विकास के लिये धन नहीं है जबकि मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार बसवराज रायरेड्डी ने कहा था कि विभिन्न गारंटियों से पैदा हुए वित्तीय बोझ के चलते राज्य को राजस्व हासिल करने के नये रास्ते तलाशने होंगे।

बेंगलुरु दक्षिण के सांसद ने विरोध प्रदर्शनों को ‘विशुद्ध रूप से राजनीतिक नौटंकी’ करार देते हुए कहा, ‘‘यह कर्नाटक सरकार और कांग्रेस का दिल्ली में नवीनतम नाटक है क्योंकि वह जल्दबाजी और गैर-जिम्मेदाराना तरीके से किए गए वादों को पूरा नहीं कर सकती है।’’

उन्होंने कांग्रेस नेताओं से अपना नाटक बंद करने और राज्य में वापस जाकर लोगों के विकास के लिए काम करने को कहा।

भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा और एस मुनीस्वामी समेत अन्य की मौजूदगी में सूर्या ने कहा कि कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के 2004-14 के शासन के दौरान राज्य को कुल कर हिस्सेदारी 81,795 करोड़ रुपये थी जबकि 2014-24 में भाजपा नीत राजग सरकार के दौरान यह 250 प्रतिशत बढ़कर 2,85,452 करोड़ रुपये हो गयी।

उन्होंने कहा कि इसी अवधि के दौरान अनुदान सहायता 60,779 करोड़ रुपये और 2,08,832 करोड़ रुपये थी।

सूर्या ने आरोप लगाया, ‘‘फिर भी मुख्यमंत्री झूठ बोलना पसंद करते हैं और राज्य के लोगों को गुमराह करते हैं।’’

राज्य सरकार ने कहा है कि कर्नाटक केंद्रीय पूल में सबसे अधिक योगदानकर्ताओं में से एक है लेकिन राजस्व का उसका हिस्सा उसके अनुरूप नहीं था। उसके इस तर्क के जवाब में सूर्या ने कहा कि कि सिर्फ बेंगलुरु से ही राज्य के राजस्व का 60 प्रतिशत हिस्सा आता है तो उसे अपने विकास के लिए समान हिस्सा क्यों नहीं मिलना चाहिए।

सूर्या ने कहा कि कर्नाटक को सबसे ज्यादा एफडीआई मिल रहा है और यह मोदी सरकार की नीतियों की वजह से हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह दलील संघवाद के सिद्धांतों के खिलाफ है, संविधान में निहित सिद्धांतों के खिलाफ है और मैं यह कहने की हिम्मत कर सकता हूं कि यह बहुत राष्ट्र-विरोधी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस देश की असली टुकड़े-टुकड़े पार्टी है। वे भारत के विभाजन के लिए पूरी तरह जिम्मेदार थे। वही पार्टी आज फिर अलगाववादी और विभाजनकारी लहजे में बोल रही है। यह इसके डीएनए में निहित है। देश और राज्य के लोग उनके तर्क को खारिज कर देंगे।’’

सिद्धरमैया के नेतृत्व में कर्नाटक के कांग्रेस नेताओं ने करों के बंटवारे में राज्य के साथ हुए ‘अन्याय’ को लेकर केंद्र के खिलाफ बुधवार को यहां जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। शिवकुमार, राज्य के कई सांसदों, मंत्रियों और विधायकों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पिछले कुछ वर्षों में कर बंटवारे और सहायता अनुदान में कर्नाटक के साथ अन्याय हुआ है।

उनकी मांग है कि केंद्र 15वें वित्त आयोग के तहत कर्नाटक को हुए 1.87 लाख करोड़ रुपये के कथित नुकसान की भरपाई करे।

सूर्या ने दावा किया कि कि आयोग व्यापक विचार-विमर्श के बाद अपनी सिफारिशों पर पहुंचा। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह अपनी ‘कल्पना की उपज’ को राजस्व के केंद्रीय पूल में राज्यों और केंद्र की हिस्सेदारी तय करने के लिए जिम्मेदार आयोग के कुछ प्रस्तावों के रूप में पेश कर रही है।

भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र नरेश

नरेश

 

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