वर्ष 2020 में महिलाओं, बच्चों के खिलाफ अपराध कम हुए; अवज्ञा के मामले तेजी से बढ़े : एनसीआरबी |

वर्ष 2020 में महिलाओं, बच्चों के खिलाफ अपराध कम हुए; अवज्ञा के मामले तेजी से बढ़े : एनसीआरबी

वर्ष 2020 में महिलाओं, बच्चों के खिलाफ अपराध कम हुए; अवज्ञा के मामले तेजी से बढ़े : एनसीआरबी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:05 PM IST, Published Date : September 15, 2021/4:17 pm IST

नयी दिल्ली, 15 सितंबर (भाषा) कोविड-19 वैश्विक महामारी और उसके कारण लगाए गए लॉकडाउन के चलते 2020 में चोरी, डकैती और महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ हिंसा जैसे अपराध कम दर्ज किए गए लेकिन सरकारी आदेशों की अवज्ञा के मामलों में जबर्दस्त बढ़ोतरी देखी गई। ये मुख्यत: कोविड-19 नियमों के उल्लंघन के जुड़े हैं।

‘भारत में अपराध-2020’ पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में कुल 66,01,285 संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए जिनमें से 42,54,356 मामले भारतीय दंड संहिता (भादंसं) के तहत अपराध और 23,46,929 विशेष एवं स्थानीय कानून (एसएलएल) के तहत दर्ज अपराध थे।

यह 2019 (51,56,158 मामले) के पंजीकरण में 14,45,127 (28 प्रतिशत) की वृद्धि दर्शाता है, जबकि प्रति लाख जनसंख्या पर दर्ज अपराध दर 2019 की 385.5 से बढ़कर 2020 में 487.8 हो गई।

पिछले साल, भादंसं के तहत मामलों का पंजीकरण 31.9 प्रतिशत बढ़ा है जबकि एसएलएल अपराध 2019 के मुकाबले 21.6 प्रतिशत बढ़े हैं।

2020 के दौरान भादंसं मामलों में संज्ञेय अपराधों का हिस्सा 64.4 प्रतिशत था जबकि एसएलएल मामलों में कुल 35.6 प्रतिशत था।

रिपोर्ट में कहा गया कि लोक सेवक द्वारा विधिवत लागू आदेश की अवज्ञा के 2019 में 29,469 मामले, 2020 में 6,12,179 मामले दर्ज किए गए और ‘ भादंसं के अन्य अपराधों’ के तहत 2019 में 2,52,268 मामलों से 2020 में 10,62,399 मामलों की वृद्धि देखी गई।

इसमें कहा गया, “ये मामले मुख्य रूप से कोविड मानदंडों के उल्लंघन के कारण दर्ज किए गए हैं। इसलिए प्रभावी रूप से पारंपरिक अपराध के पंजीकरण में लगभग दो लाख मामलों की कमी आई है।”

2020 के दौरान, भादंसं के कुल 55,84,135 मामले (पिछले वर्ष से लंबित 13,27,167 मामले, वर्ष के दौरान 42,54,356 रिपोर्ट किए गए और 2,612 मामले जांच के लिए फिर से खोले गए) जांच के अधीन थे, जिनमें से 34,47,285 मामलों का निपटारा किया गया था। पुलिस द्वारा 26,11,925 मामलों में आरोप-पत्र दाखिल किए गए, जिसके परिणामस्वरूप आरोप-पत्र दायर करने की दर 75.8 प्रतिशत रही।

देश में कोविड-19 की पहली लहर के दौरान 23 मार्च से 31 मई, 2020 तक पूर्ण लॉकडाउन था जिसके चलते सार्वजनिक स्थलों पर आवाजाही बहुत सीमित थी।

रिपोर्ट में कहा गया कि महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराधों, चोरी, सेंधमारी, डकैती और लूट के तहत दर्ज मामलों में कमी आई, जबकि कोविड से संबंधित प्रवर्तन के परिणामस्वरूप ‘लोक सेवक द्वारा विधिवत लागू आदेश की अवज्ञा (धारा 188 आईपीसी) के तहत दर्ज मामलों, ‘अन्य आईपीसी अपराधों’ और ‘अन्य राज्य स्थानीय अधिनियमों’ के तहत दर्ज मामलों में वृद्धि हुई।

मानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराधों के कुल 10,47,216 मामले दर्ज किए गए, जो 2020 के दौरान कुल भादंसं अपराधों का 24.6 प्रतिशत था। इसमें 2019 के मुकाबले मामूली 0.5 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। 2020 के दौरान हत्या के कुल 29,193 मामले दर्ज किए गए। अपहरण के कुल 84,805 मामले दर्ज किए गए। 2020 के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 3,71,503 मामले दर्ज किए गए, जो 2019 की तुलना में 8.3 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है। 2020 के दौरान बच्चों के खिलाफ अपराध के कुल 1,28,531 मामले दर्ज किए गए, जो 2019 की तुलना में 13.2 प्रतिशत की कमी दर्शाता है।

भाषा

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नेहा शोभना

शोभना

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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