एक राष्ट्रीय भाषा या धर्म अपनाने के लिहाज से भारत बेहद विविध : उमर अब्दुल्ला |

एक राष्ट्रीय भाषा या धर्म अपनाने के लिहाज से भारत बेहद विविध : उमर अब्दुल्ला

एक राष्ट्रीय भाषा या धर्म अपनाने के लिहाज से भारत बेहद विविध : उमर अब्दुल्ला

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:09 PM IST, Published Date : April 28, 2022/5:51 pm IST

श्रीनगर, 28 अप्रैल (भाषा) नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने बृहस्पतिवार को यहां कहा कि भारत एक राष्ट्रभाषा अपनाने के लिहाज से बेहद विविधता वाला देश है और भारत का विचार यह है कि इसमें सभी के लिये जगह है।

पत्रकारों से बात करते हुए, पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री रहे अब्दुल्ला ने कहा कि यह पहचानना और सम्मान करना महत्वपूर्ण है कि भारत एक भाषा, एक संस्कृति या एक धर्म से कहीं अधिक है।

इस मुद्दे को लेकर हाल में उठे विवाद पर एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “एक भाषा रखने के लिहाज से भारत बहुत विविधता वाला देश है। भारत का विचार यह है कि यहां सभी के लिये जगह है। जब आप एक भारतीय रुपये का नोट उठाते हैं, तो आप उस पर कितनी भाषाएं पाते हैं? नोट सभी भाषाओं को स्थान देता है और अगर भारतीय नोट सभी भाषाओं को जगह देता है, तो जाहिर तौर पर यह समझा जाता है कि हम सिर्फ एक भाषा, एक संस्कृति, एक धर्म से ज्यादा हैं।”

अब्दुल्ला ने कहा, “हमें हर किसी को जगह देनी चाहिए। अगर हम जम्मू-कश्मीर में एक भाषा नहीं थोपते हैं, तो किसी को ऐसा क्यों करना चाहिए? लोगों को चुनने दें। एक राष्ट्रीय भाषा क्यों होनी चाहिए? मुझे नहीं लगता कि भारत जैसी जगह को राष्ट्रीय भाषा की जरूरत है। हमें राष्ट्रीय धर्म की जरूरत नहीं है। हमें हर किसी को जगह देने की जरूरत है।”

यह पूछे जाने पर कि क्या सांप्रदायिकता मुख्यधारा बन गई है और चुनाव अब केवल हिंदू-मुस्लिम मुद्दों पर लड़े जाते हैं, उन्होंने कहा कि यह कुछ नया नहीं है, “लेकिन अब, वृद्धि हुई है”।

उन्होंने कहा, “इसे पहले की तरह मुख्यधारा में लाया गया है। यह सच है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है।”

यह पूछे जाने पर कि अब पूरे देश में स्थिति को देखते हुए, क्या उन्हें लगता है कि जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय एक गलती थी, नेकां नेता ने नकारात्मक जवाब दिया, और कहा कि कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता था कि चीजें कैसे होंगी।

उन्होंने कहा, “कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता था कि चीजें कैसे होंगी। विलय कोई गलती नहीं थी। मुझे विश्वास नहीं है कि भारत ने इस रास्ते को अपरिवर्तनीय रूप से अपनाया है। लेकिन यह चिंता का विषय है। हो भी क्यों नहीं? जब आप मस्जिदों के बाहर जुलूस निकालते हैं और वहां ‘क्या मुल्क में रहना है तो जय श्री राम कहना है’ के नारे हैं, आपको क्या लगता है लोग क्या महसूस करेंगे?

अब्दुल्ला ने कहा, “माफ कीजिएगा, लेकिन जब मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चलाए जाते हैं और टेलीविजन चैनल के एंकर कहते हैं कि अब बुलडोजर की कमी हो जाएगी, हमें बुलडोजर आयात करना होगा, या भारत में बने बुलडोजर होंगे, आपको क्या लगता है हमें कैसा महसूस होता है?”

अब्दुल्ला ने पूछा, “जब टेलीविजन चैनल के एंकर बुलडोजर पर चढ़ते हैं और ड्राइवर से कहते हैं कि आपने केवल छत को नष्ट किया है और दीवारें अब भी खड़ी हैं, आप इसे भी नष्ट कर दें, आपको क्या लगता है कि लोग क्या महसूस करेंगे? कृपया समझें कि इससे जुड़ी भावनाएं हैं, हम समझते हैं कि राजनेता राजनीतिक उद्देश्यों के लिए चीजें करेंगे, लेकिन जिन लोगों से हम अपेक्षा करते हैं वे निष्पक्ष होंगे, जब वे इस तरह पक्षपात करते हैं, तो आप हमसे कैसा महसूस करने की उम्मीद करते हैं?”

भाषा

प्रशांत माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)