भारत को हर दृष्टिकोण से ‘आत्मनिर्भर’ होना चाहिए: प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव |

भारत को हर दृष्टिकोण से ‘आत्मनिर्भर’ होना चाहिए: प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव

भारत को हर दृष्टिकोण से ‘आत्मनिर्भर’ होना चाहिए: प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव

:   Modified Date:  February 10, 2024 / 09:19 PM IST, Published Date : February 10, 2024/9:19 pm IST

नयी दिल्ली, 10 फरवरी (भाषा) प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी.के. मिश्रा ने शनिवार को कहा कि भारत को प्रति व्यक्ति आय के वांछित स्तर को हासिल करने से और आगे बढ़ना चाहिए और हर दृष्टिकोण से ‘आत्मनिर्भर’ होना चाहिए।

संबलपुर में ओडिशा आर्थिक महासंघ के 56वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए उच्च विकास दर के साथ सतत विकास पर भी जोर दिया। मिश्रा ने कहा, ‘‘सतत विकास के बिना उच्च विकास दर सार्थक नहीं होगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ भारत को प्रति व्यक्ति आय के वांछित स्तर को प्राप्त करने से आगे बढ़ना चाहिए और हर दृष्टिकोण से ‘आत्मनिर्भर’ होना चाहिए। महिलाएं भारत की विकास गाथा का नेतृत्व करेंगी, अर्थव्यवस्था अधिक समावेशी और नवीन होगी, और भ्रष्टाचार, जातिवाद और सांप्रदायिकता का हमारे राष्ट्रीय जीवन में कोई स्थान नहीं होगा।’’

मिश्रा ने कहा कि भारत के नेतृत्व में जी20 की बैठक अभूतपूर्व रूप से सफल रही और देश को विश्व स्तर पर मान्यता मिली है और टिकाऊ और बेहतर भविष्य के लिए नई अवधारणाओं को अपनाने पर जोर दिया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘ लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) की अवधारणा और आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (सीडीआरआई) और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) जैसी वैश्विक पहल जलवायु परिवर्तन का समाधान करने के भारत के प्रयासों की दिशा में मील का पत्थर हैं।’’

संबलपुर यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (एसयूआईआईटी) में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मिश्रा ने अनुसंधान और विकास को प्राथमिकता देने, औद्योगिक नेताओं के साथ साझेदारी बनाने और विद्यार्थियों को इंटर्नशिप और उद्योग परियोजनाओं के माध्यम से व्यावहारिक अनुभव प्रदान करने पर जोर दिया।

मिश्रा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) का मानना ​​है कि सामान्य रूप से प्रौद्योगिकी और विशेष रूप से अत्याधुनिक और उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग उस विकास को बढ़ावा देने के लिए करना होगा जिसे हम प्राप्त करना चाहते हैं।’’

भाषा धीरज संतोष

संतोष

 

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