यहां से निकलती है कर्नाटक की सत्ती की चाबी, जानिए सियासी समीकरण | Karnataka Election 2018:

यहां से निकलती है कर्नाटक की सत्ती की चाबी, जानिए सियासी समीकरण

यहां से निकलती है कर्नाटक की सत्ती की चाबी, जानिए सियासी समीकरण

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:44 PM IST, Published Date : May 15, 2018/4:18 am IST

बेंगलूरु। कर्नाटक की सत्ता की चाबी इन 6 इलाकों से निकलती है। माना जाता है कि कर्नाटक को छह इलाकों में बांटकर वहां की सियासी तस्वीर पढ़ी है। कर्नाटक के तटीय इलाके में बीजेपी की मजबूत पकड़ रही है. लेकिन पिछले चुनावों में कांग्रेस ने यहां बढ़िया प्रदर्शन किया था। इसी कारण राहुल गांधी ने अपने दौरों में इस इलाके को अभी ज्यादा छुआ। 

पुराना मैसूर 

तीनों दलों यानि कांग्रेस, बीजेपी और जेडीएस का प्रभाव यहां बराबर बराबर है। अबकी बार बीजेपी और जेडीएस कुछ इलाकों में बेशक बेहतर स्थिति में हैं लेकिन कांग्रेस का पूरे इलाके में असर है। इस क्षेत्र में वोक्कालिंग जनजाति का बाहुल्य है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा इसी समुदाय से आते हैं। पिछले दिनों कृष्णा बीजेपी में चले गए थे, लिहाजा बीजेपी को लग रहा है कि उन्हें इस क्षेत्र में फायदा मिलेगा।

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बेंगुलुरु 

बेंगलुरु क्षेत्र में बीजेपी हमेशा से बेहतर करती रही है। कर्नाटक में बीजेपी की छवि एक शहरी पार्टी की रही है। बेंगलुरु में ब्राह्मणों की तादाद खासी ज्यादा है, वो परंपरागत रूप से बीजेपी के समर्थक रहे हैं। बेंगलुरु कास्मोपॉलिटन सिटी भी है, जहां बड़ी संख्या पढ़े लिखे मध्य लोगों की है, जो अलग अलग राज्यों से आकर यहां बस गए हैं। उनका वोट बैंक भी बीजेपी को लाभ पहुंचा सकता है। हालांकि कांग्रेस का भी यहां परंपरागत वोटबैंक रहा है और अल्पसंख्यकों के कारण भी कांग्रेस को कम नहीं आंका जा सकता।

मुंबई-कर्नाटक 

लिंगायत समुदाय के बाहुल्य वाला इलाका है, जिसका झुकाव बीजेपी की ओर रहा है। बीजेपी की कर्नाटक राज्य इकाई के प्रमुख बीएस येदुरप्पा भी इसी समुदाय से आते हैं। लेकिन बीजेपी के वोटबैंक को नुकसान पहुंचाने के लिए कांग्रेस ने चुनाव से पहले लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने का प्रस्ताव विधानसभा में पेश किया। 

हैदराबाद-कर्नाटक 

इस इलाके में लिंगायत के साथ रेड्डी ब्रदर्स का असर है। जो पारंपरिक तौर पर बीजेपी के समर्थक हैं। इसलिए इस इलाके में बीजेपी की स्थिति बेहतर है। लेकिन कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे इसी इलाके से हैं और पिछड़े तबके से ताल्लुक रखते हैं। उनका भी इस इलाके में अपना असर है। 

केंद्रीय कर्नाटक

केंद्रीय कर्नाटक में बीजेपी और कांग्रेस दोनों अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद लगाए हुए हैं। दोनों का ही यहां बराबर बराबर असर है। वर्ष 2013 के चुनावों में इस इलाके में बीजेपी का प्रदर्शन बहुत खराब था, उसे यहां की 32 सीटों से केवल दो सीटें ही मिल पाईं थीं। बीजेपी निश्चित तौर पर मेहनत करके यहां पिछले चुनावों के ट्रेंड को बदलना चाहेगी।

वेब डेस्कIBC24

 
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