केजरीवाल के वकीलों ने ईडी के हलफनामे के खिलाफ उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में शिकायत की |

केजरीवाल के वकीलों ने ईडी के हलफनामे के खिलाफ उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में शिकायत की

केजरीवाल के वकीलों ने ईडी के हलफनामे के खिलाफ उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में शिकायत की

:   Modified Date:  May 10, 2024 / 12:13 AM IST, Published Date : May 10, 2024/12:13 am IST

नयी दिल्ली, नौ मई (भाषा) दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की कानूनी टीम ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में उनकी अंतरिम जमानत के विरोध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दाखिल हलफनामे पर आपत्ति जताई।

टीम ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जानकारी दी कि इस संबंध में एक औपचारिक शिकायत उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में दर्ज कराई गई है।

ईडी के हलफनामे को कानूनी प्रक्रियाओं की घोर अवहेलना बताते हुए विज्ञप्ति में कहा गया है कि हलफनामा उच्चतम न्यायालय की अनुमति के बिना दाखिल किया गया और ऐसे समय में जारी किया गया जब विषय की अंतिम सुनवाई कल (शुक्रवार को) शीर्ष अदालत में होनी है।

इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में केजरीवाल की अंतरिम जमानत के मुद्दे पर बृहस्पतिवार को हलफनामे के जरिये उच्चतम न्यायालय में विरोध दर्ज कराया और कहा कि चुनाव में प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है और न ही संवैधानिक।

यह हलफनामा ऐसे समय दाखिल किया गया जब उच्चतम न्यायालय शुक्रवार को केजरीवाल की अंतरिम जमानत के मुद्दे पर फैसला सुनायेगा।

उच्चतम न्यायालय में दाखिल एक नये हलफनामे में ईडी ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां राजनीतिज्ञों ने न्यायिक हिरासत में रहते हुए चुनाव लड़ा और कुछ जीते भी, लेकिन चुनाव प्रचार के लिए कभी अंतरिम जमानत नहीं दी गई।

ईडी ने कहा, ‘‘किसी भी नेता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है, भले वह चुनाव नहीं लड़ रहा हो। यहां तक कि चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार भी यदि हिरासत में हो तो उसे अपने खुद के प्रचार के लिए भी अंतरिम जमानत नहीं दी जाती है।’’

इसने कहा, ‘‘इस बात को ध्यान में रखना प्रासंगिक है कि चुनाव के लिए प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है, न ही संवैधानिक, यहां तक ​​कि यह कानूनी अधिकार भी नहीं है।’’

उच्च न्यायालय ने नौ अप्रैल को केजरीवाल की गिरफ्तारी को वैध ठहराया था और कहा था कि बार-बार समन जारी करने और केजरीवाल के जांच में शामिल होने से इनकार करने के बाद ईडी के पास ‘बहुत कम विकल्प’ बचा था।

यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और धनशोधन से संबंधित है। यह नीति रद्द की जा चुकी है।

भाषा धीरज सुभाष

सुभाष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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