केरल विधानसभा में शराब नीति विवाद को लेकर तीखी नोकझोंक, यूडीएफ का बहिष्कार |

केरल विधानसभा में शराब नीति विवाद को लेकर तीखी नोकझोंक, यूडीएफ का बहिष्कार

केरल विधानसभा में शराब नीति विवाद को लेकर तीखी नोकझोंक, यूडीएफ का बहिष्कार

:   Modified Date:  June 10, 2024 / 07:57 PM IST, Published Date : June 10, 2024/7:57 pm IST

तिरुवनंतपुरम, 10 जून (भाषा) केरल में सोमवार को बुलाई गयी विधानसभा की बैठक में सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच चल रहे शराब नीति विवाद को लेकर तीखी नोकझोंक देखने को मिली जिसने कई हफ्तों से वामपंथी सरकार को परेशान कर रखा है।

मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने लोकसभा चुनाव के बाद यहां पहली बार बुलाई गई विधानसभा की बैठक में राज्य की शराब नीति में ‘संशोधन’ के संबंध में लगाए गए आरोपों को लेकर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किये जाने की कांग्रेस नीत यूडीएफ की मांग को खारिज कर दिया।

विपक्षी यूडीएफ के सदस्यों ने आरोपों को लेकर माकपा नीत सरकार की आलोचना करते हुए तख्तियां और बैनर दिखाए और बाद में सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया।

इसके बाद उन्होंने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने की मांग की और विवाद के संबंध में पर्यटन और आबकारी मंत्रियों के इस्तीफे की मांग की।

एक महीने से अधिक समय से कांग्रेस शराब नीति को लेकर पिनाराई विजयन सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है। कांग्रेस का आरोप है कि राज्य सरकार बार मालिकों से रिश्वत लेकर शराब नीति में संशोधन करने की योजना बना रही है।

उन्होंने सत्र के पहले दिन शून्यकाल के दौरान सदन में यह मुद्दा उठाया और विवाद पर चर्चा की मांग की।

हालांकि, आबकारी मंत्री एमबी राजेश ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि शराब नीति में संशोधन के संबंध में प्रारंभिक चर्चा तक नहीं की गई है।

उन्होंने कहा कि हाल ही में मुख्य सचिव द्वारा बुलाई गई विभाग सचिवों की बैठक और पर्यटन निदेशक द्वारा बुलाई गई हितधारकों की बैठक का शराब नीति संशोधन से कोई लेना-देना नहीं है, जैसा कि यूडीएफ ने आरोप लगाया है।

प्रस्ताव के लिए नोटिस की मांग करने वाले कांग्रेस विधायक रोजी एम जॉन ने सरकार की आलोचना की और कहा कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना भी एक अपराध है। जॉन ने पूछा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वीडी सतीशन ने भी यही मांग दोहराई। इस पर मुख्यमंत्री विजयन ने हस्तक्षेप करते हुए स्पष्ट किया कि पुलिस जांच पहले से ही चल रही है।

उन्होंने विपक्ष पर मनगढ़ंत तर्क देने और यह धारणा बनाने की कोशिश करने का आरोप लगाया कि राज्य में कुछ (अवैध) हो रहा है।

विजयन ने कहा, ‘‘राज्य की शराब नीति से जुड़ी झूठी खबरें सामने आते ही राज्य के आबकारी मंत्री ने खुद पुलिस महानिदेशक के पास शिकायत दर्ज कराई थी।’’

उन्होंने कहा कि शिकायत की जांच की जा रही है और जो भी अपराध हुआ है उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

विजयन ने पूछा कि क्या विपक्ष का प्रयास चल रही पुलिस जांच में बाधा उत्पन्न करना है।

हालांकि, सतीशन ने मुख्यमंत्री के दावे पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आबकारी मंत्री, जो कथित घोटाले में आरोपी हैं, द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर की जा रही पुलिस जांच से किस नतीजे की उम्मीद की जा सकती है।

सतीशन ने कहा,‘‘इसलिए, आरोपों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए। विपक्ष इस मामले पर कोई समझौता नहीं करेगा और इस मुद्दे को उठाते हुए सदन के अंदर और बाहर जोरदार आंदोलन करेगा।’’

इसके बाद विपक्षी नेताओं ने सरकार के खिलाफ नारे लगाना जारी रखा और आबकारी एवं पर्यटन मंत्रियों के इस्तीफे की मांग करते हुए सदन की कार्यवाही का बिहष्कार करते हुए बहिर्गमन किया।

कांग्रेस नीत यूडीएफ ने एलडीएफ सरकार पर बार मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए उनसे रिश्वत लेने का आरोप लगाया है जबकि वाम सरकार का कहना है कि उसने अभी आबकारी नीति को लेकर कोई विचार नहीं किया है।

शुष्क दिवस नीति को कथित तौर पर वापस लेने का मुद्दा तब विवादों में घिर गया जब एक ऑडियो क्लिप टीवी चैनलों पर प्रसारित हुआ। इस कथित ऑडियो क्लिप में बार एसोसिएशन के सदस्य कथित तौर पर अन्य सदस्यों से ‘अनुकूल शराब नीति’ के लिए पैसे देने के लिए कह रहे थे।

यूडीएफ ने वाम सरकार पर बार मालिकों से उनके अनुकूल नीति बनाने के लिए 20 करोड़ रुपये मांगने का आरोप लगाते हुए आबकारी मंत्री एमबी राजेश के इस्तीफे की मांग की है।

भाषा संतोष रंजन

रंजन

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)