नयी दिल्ली, 22 फरवरी (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के पांच स्थायी सदस्य देशों का कम दूरदर्शी नजरिया इस वैश्विक निकाय में बहुत अधिक समय से लंबित सुधार की राह में आगे बढ़ने में एक बाधा है।
‘रायसीना डायलॉग’ के एक सत्र में उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का ‘‘सबसे बड़ा’’ विरोधी कोई पश्चिमी देश नहीं है। उनकी इस टिप्पणी को चीन के परोक्ष संदर्भ के रूप में देखा जा रहा है।
विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में बदलाव की भावनाएं ‘‘बहुत मजबूत’’ हैं, लेकिन कुछ हलकों से इसके लिए सहमति प्राप्त करना चुनौती है।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप पांच देशों से यह पूछने जा रहे हैं कि क्या आप उन नियमों को बदलने पर विचार करेंगे जिससे आपकी शक्ति कम हो जाएगी, तो अनुमान लगाएं कि उत्तर क्या होगा।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘यदि वे समझदार हैं तो जवाब कुछ और होगा, लेकिन यदि वे कम दूरदर्शी हैं तो जवाब वही होगा, जो हम आज देख रहे हैं।’’
यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्यों में रूस, ब्रिटेन, अमेरिका, चीन और फ्रांस हैं। ये देश ‘वीटो’ का इस्तेमाल करके किसी भी प्रस्ताव को रोक सकते हैं।
समसामयिक वैश्विक वास्तविकता को प्रतिबिंबित करने के लिए स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग बढ़ रही है। भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी और जापान यूएनएससी की स्थायी सदस्यता के प्रबल दावेदार हैं, जिसकी अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
जयशंकर ने कहा, ‘‘जब संयुक्त राष्ट्र अस्तित्व में आया, तब इसमें लगभग 50 सदस्य थे। लेकिन इसके सदस्य अब चार गुना हो चुके हैं। इसलिए यह एक सामान्य ज्ञान है कि जब आपके पास चार गुना सदस्य हों तो आप उसी तरह से चीजों को जारी नहीं रख सकते।’’
विभिन्न जटिल भू-राजनीतिक चुनौतियों और उन पर प्रमुख देशों के विविध रुख के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि प्रयास बीच का रास्ता निकालने का होना चाहिए।
जयशंकर ने कहा कि यदि आप संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लें, तो इसका सबसे बड़ा विरोधी कोई पश्चिमी देश नहीं है।
उन्होंने कहा कि इसलिए समस्या को समग्रता से देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वास्तविकता यह है कि हमें ऐसे समूह बनाने के लिए धीरे-धीरे संघर्ष करना होगा जो बदलाव के लिए दबाव डालेंगे।’’
रायसीना डायलॉग भू-राजनीति और भू-रणनीति पर केंद्रित भारत का प्रमुख सम्मेलन है। यह तीन दिवसीय सम्मेलन बुधवार को शुरू हुआ। तीन दिवसीय सम्मेलन का विषय ‘चतुरंगा: संघर्ष, प्रतियोगिता, सहयोग, सृजन’ है।
भाषा संतोष नेत्रपाल
नेत्रपाल
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