पूर्वोत्तर में दसवीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य बनाने का कदम सौहार्द बिगाड़ेगा: छात्र संगठन |

पूर्वोत्तर में दसवीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य बनाने का कदम सौहार्द बिगाड़ेगा: छात्र संगठन

पूर्वोत्तर में दसवीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य बनाने का कदम सौहार्द बिगाड़ेगा: छात्र संगठन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:54 PM IST, Published Date : April 13, 2022/12:14 pm IST

कोहिमा,13 अप्रैल (भाषा) आठ छात्र इकाइयों के संगठन ‘ द नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेंशन’ (एनईएसओ) ने क्षेत्र में दसवीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य विषय बनाने के केन्द्र के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह कदम पूर्वोत्तर की मूल भाषाओं के लिए अहितकर होगा और इससे सौहार्द बिगड़ेगा।

एनईएसओ ने इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखा है जिसमें ‘‘प्रतिकूल नीति’’ को तत्काल वापस लेने की मांग की गयी है, और सुझाव दिया गया है कि राज्यों में दसवीं कक्षा तक मूल भाषाओं को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए, वहीं हिंदी वैकल्पिक या चयनात्मक विषय होना चाहिए।

गौरतलब है कि केन्द्रीय गृह मंत्री शाह ने सात अप्रैल को नई दिल्ली में संसदीय राजभाषा समिति की बैठक में कहा था कि सभी पूर्वोत्तर राज्य अपने स्कूलों में दसवीं कक्षा तक हिंदी अनिवार्य करने पर सहमत हो गए हैं।

एनईएसओ ने कहा,‘‘ यह समझा जा सकता है कि भारत में 40 से 43 प्रतिशत लोग हिंदी बोलते हैं, लेकिन यह समझना जरूरी है कि देश में अन्य मूल भाषाएं भी हैं, जो समृद्ध हैं, बढ़ रही हैं और एक प्रकार से जीवंत हैं और भारत को विविध तथा बहुभाषी राष्ट्र की छवि प्रदान करती हैं।’’

संगठन ने कहा कि पूर्वोत्तर के प्रत्येक राज्य की अपनी अनूठी और विविध भाषाएं हैं जिन्हें विभिन्न जातीय समूह बोलचाल में इस्तेमाल करते हैं। इन समूहों में हिंद-आर्यन से लेकर तिब्बती-बर्मी ,ऑस्ट्रो-एशियाटिक परिवार शामिल हैं।

एनईएसओ में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन, ऑल मणिपुर स्टूडेंट्स यूनियन और ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन आदि शामिल हैं।

संगठन ने कहा कि केन्द्र को पूर्वोत्तर की मूल भाषाओं के उत्थान पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।

भाषा शोभना मनीषा

मनीषा

 

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