मैसुरु लोकसभा क्षेत्र: मुकाबला पूर्ववर्ती शाही परिवार के वाडियार और एम. लक्ष्मण के बीच |

मैसुरु लोकसभा क्षेत्र: मुकाबला पूर्ववर्ती शाही परिवार के वाडियार और एम. लक्ष्मण के बीच

मैसुरु लोकसभा क्षेत्र: मुकाबला पूर्ववर्ती शाही परिवार के वाडियार और एम. लक्ष्मण के बीच

:   Modified Date:  March 31, 2024 / 05:34 PM IST, Published Date : March 31, 2024/5:34 pm IST

(जी मंजूसाईनाथ)

मैसूरु, 31 मार्च (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया यहां चुनावी मुकाबले में नहीं उतरे हैं, लेकिन मैसूरु लोकसभा सीट के लिए मुकाबला निश्चित रूप से उनके और पूर्ववर्ती शाही परिवार के वंशज के बीच माना जा रहा है।

सिद्धरमैया ने 24 मार्च से चार दिनों के लिए अपने गृह जिले मैसूर में डेरा डाला और लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की चुनावी तैयारियों की व्यक्तिगत रूप से निगरानी की।

भाजपा ने सभी को हैरान करते हुए सांसद प्रताप सिम्हा की जगह पूर्ववर्ती मैसूरु शाही परिवार के वंशज यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार को मैदान में उतारा है।

कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के प्रवक्ता एम लक्ष्मण यहां पार्टी के उम्मीदवार हैं और संगठन के कुछ नेता चुनावी मुकाबले को ‘आम आदमी बनाम राजा’ के रूप में पेश कर रहे हैं।

सिद्धरमैया ने मैसूरु लोकसभा क्षेत्र के तहत विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी पदाधिकारियों के साथ कई दौर की बैठकें कीं और उन्हें कई निर्देश जारी किए।

एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, ‘‘सिद्धरमैया पर दबाव काफी स्पष्ट है क्योंकि उन्हें कर्नाटक में आगामी लोकसभा चुनाव में जनता के बीच अपनी पकड़ दिखानी है और इससे भी सबसे अधिक मैसूरु में।’’

सिद्धरमैया विधानसभा में मैसूरु जिले के वरुणा का प्रतिनिधित्व करते हैं।

‘मैसूर की लड़ाई’ आसान नहीं है। मुख्यमंत्री के साथ ही मैसूरु शाही परिवार का काफी कुछ दाव पर है।

अमेरिका में शिक्षा ग्रहण करने वाले वाडियार ने अपनी ‘प्रजा’ से ‘मैसूरु महाराजा’ के रूप में सम्मान के साथ सम्मानजनक तरीके से प्रचार किया है।

लक्ष्मण वोक्कालिगा (कृषि) समुदाय से हैं, जिसका मैसूर क्षेत्र पर प्रभुत्व है। लक्ष्मण ने कांग्रेस द्वारा उन्हें उम्मीदवार बनाये जाने के बाद कहा कि पार्टी ने उन्हें टिकट देकर भाजपा को करारा जवाब दिया है क्योंकि राज्य में विपक्षी दल अक्सर आरोप लगाते थे कि सिद्धरमैया वोक्कालिगा विरोधी हैं। लक्ष्मण के वोक्कालिगा मुद्दे पर जोर देने का उद्देश्य यह संदेश देना था कि भाजपा ने वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले प्रताप सिम्हा को टिकट नहीं दिया और पूर्व शाही परिवार के वाडियार को तरजीह दी।

कांग्रेस के ‘आम आदमी बनाम राजा’ के नारे पर वाडियार ने कहा कि लोकतांत्रिक भारत में कोई राजा नहीं है और कानून की नजर में हर कोई बराबर है।

जब हाल ही में पत्रकारों ने पूछा कि क्या मैसूर सीट उनके लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा है, तो मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि लोकसभा की सभी 28 सीटें उनके लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा हैं।

हालांकि, उनके करीबी सूत्र संकेत देते हैं कि सिद्धरमैया कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं और अपने घरेलू क्षेत्र में हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

मैसूर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र दो जिलों मैसूरु और कोडागु में फैला हुआ है। 2023 के विधानसभा चुनाव में, कांग्रेस ने पांच सीटें, जद (एस) ने दो और भाजपा ने एक सीट जीती।

भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की 28 में से 25 सीट पर जीत हासिल की थी, जबकि पार्टी द्वारा समर्थित एक निर्दलीय ने भी जीत हासिल की थी।

गठबंधन में साथ मिलकर लड़ने वाली कांग्रेस और जद (एस) ने एक-एक सीट जीती थी। इस बार, जद (एस) ने भाजपा के साथ गठबंधन किया है।

भाषा अमित धीरज

धीरज

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)