नीट-पीजी काउंसलिंग: ‘मॉप अप राउंड’ में हिस्सा लेने की अनुमति वाली याचिकाओं पर डीजीएचएस से मांगा जवाब |

नीट-पीजी काउंसलिंग: ‘मॉप अप राउंड’ में हिस्सा लेने की अनुमति वाली याचिकाओं पर डीजीएचएस से मांगा जवाब

नीट-पीजी काउंसलिंग: ‘मॉप अप राउंड’ में हिस्सा लेने की अनुमति वाली याचिकाओं पर डीजीएचएस से मांगा जवाब

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:59 PM IST, Published Date : March 28, 2022/9:19 pm IST

नयी दिल्ली, 28 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) को चिकित्सकों के एक समूह द्वारा दायर याचिकाओं पर जवाब देने को कहा, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (स्नातकोत्तर), या नीट-पीजी (स्नातकोत्तर) 2021-22 काउंसलिंग के ‘मॉप-अप राउंड’ में भाग लेने की अनुमति मांगी है।

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने डीजीएचएस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से चिकित्सकों द्वारा दायर याचिकाओं पर विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा।

पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा, ‘‘काउंसलिंग की प्रक्रिया पर रोक लगाना बहुत बड़ा कदम होगा। यह मेडिकल छात्रों से संबंधित है। यदि हम सीटें रद्द करते हैं, तो हमें सभी प्रवेश रद्द करने होंगे, जिससे पूरी प्रक्रिया में और देरी होगी। आप सभी को एक समाधान के साथ भी आना चाहिए।’’

कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि डीजीएचएस द्वारा नयी सीटें लाने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं, जो उनके लिए उपलब्ध नहीं थीं और अब जो छात्र मेरिट में नीचे थे उन्हें बेहतर सीटें मिलेंगी।

उन्होंने कहा, ‘‘दूसरे दौर की काउंसलिंग के बाद, हमें सीटें आवंटित की गई। तब डीजीएचएस ने पूल में कुछ सीटें लाने के लिए दो नोटिस जारी किए, जो उनके लिए उपलब्ध नहीं थीं। पूल में सैकड़ों सीटें जोड़ी गईं, जिसके परिणामस्वरूप जो लोग योग्यता में काफी नीचे थे, उन्हें वो सीटें दी गईं, जो हमारे लिए उपलब्ध नहीं थीं।’’

छात्रों के एक अन्य समूह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश खन्ना ने कहा कि सीटों को रोकने की प्रवृत्ति थी और यही कारण है कि ‘मॉप-अप राउंड’ में 6,000 से अधिक सीटें हैं।

भाटी ने कहा कि अदालत को ‘स्ट्रे राउंड’ में किसी भी नये पंजीकरण की अनुमति नहीं देनी चाहिए क्योंकि अगर इसकी अनुमति दी गई तो यह प्रक्रिया कभी खत्म नहीं होगी। उन्होंने कहा कि केवल 150 नई सीटें जोड़ी गईं हैं और केवल दो विकल्प उपलब्ध थे कि या तो सीटों को खाली रहने दिया जाए या फिर ‘मॉप-अप राउंड’ में जोड़ा जाए, ताकि वे भर जाएं।

उन्होंने कहा, ‘‘कोविड के इस समय के दौरान, हमें डॉक्टरों की आवश्यकता है। यह पहली बार है जब हमने ‘मॉप-अप राउंड’ में नई सीटें जोड़ी हैं।’’

शंकरनारायणन ने कहा कि पूरी व्यवस्था उम्मीदवारों के साथ अनुचित व्यवहार वाली है क्योंकि अगर वे अपनी सीट छोड़ देते हैं तो उन्हें लगभग 5 लाख रुपये का भारी जुर्माना देना पड़ता है और कम से कम अदालत जुर्माना माफ करने का आदेश दे सकती है।

पीठ ने कहा कि अगर वह ऐसा करती है तो उसे सभी उम्मीदवारों के लिए करना होगा।

याचिकाकर्ताओं के एक अन्य समूह के लिए पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि जो लोग रैंक में उनसे बहुत नीचे हैं उन्हें बेहतर विकल्प मिलेगा और ये उम्मीदवार ऐसे विकल्प में फंस जाएंगे, जिसमें उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘‘6000 से अधिक सीटों का ‘मॉप अप राउंड’ अभूतपूर्व है और इसके अलावा यह समान अवसर का सवाल है।’’

चिकित्सकों द्वारा शीर्ष अदालत के समक्ष दायर याचिकाओं के एक समूह में कहा गया है कि उन्होंने पहले दौर की काउंसलिंग में भाग लिया था और एक विकल्प चुन लिया था, लेकिन उन्हें दूसरे दौर में अपग्रेड करने की अनुमति नहीं दी गई और उन्होंने मॉप-अप राउंड में शामिल होने की अनुमति मांगी।

याचिकाओं के एक अन्य समूह में, डॉक्टरों ने मेडिकल काउंसलिंग कमेटी के 16 मार्च के नोटिस को चुनौती दी है, जो ‘मॉप-अप राउंड काउंसलिंग’ में भाग लेने पर रोक लगाता है, अगर उम्मीदवार ने पहले ही राज्य कोटे में सीटें ले ली हैं।

भाषा अमित नरेश दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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