निंदक नीयरेः क्या होगा, थरूर हारकर भी अच्छे वोट पा जाते हैं। विश्लेषण बरुण सखाजी

Nindak Niyre: खड़गे तो जीत ही रहे हैं, जीत ही जाएंगे, क्या होगा अगर थरूर हारकर भी वोट ज्यादा ले आए! निंदक नीयरे By Barun Sakhajee

यह इस्तीफा खड़गे ने ऐसे दिया जैसे वे चुन ही लिए गए। सवाल ये उठता है कि खड़गे ने इस्तीफा क्यों दिया? बड़ी मासूमियत से बताया गया कि उदयपुर चिंतन शिविर में एक व्यक्ति एक पद का फॉर्मूला लागू हुआ है, इसलिए खड़गे ने इस्तीफा दिया।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:49 PM IST, Published Date : October 17, 2022/1:13 pm IST

Barun Sakhajee

Barun Sakhajee

बरुण सखाजी, सह-कार्यकारी संपादक

हो तो रहे हैं चुनाव लेकिन सबको सब पता है,  अब होने क्या वाला है? यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया होकर भी राजतांत्रिक नतीजे देने वाली प्रक्रिया बन गई है। सबको पता है क्या होगा एक ऐसा जुमला बन पड़ा है, जिसमें इन चुनावों के प्रति लोगों का अविश्वास सुनाई दे रहा है। कांग्रेस अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को चुनने के लिए पहली बार कार्यकर्ताओं से वोटिंग नहीं करवा रही, बल्कि ऐसा होता रहा है। मगर इस बार चर्चा अधिक है। क्योंकि इन चुनावों में बहुत कुछ  ऐसा है जिसे सब समझ रहे हैं और जो नहीं समझ रहे उन्हें कुछ संकेतों से समझा दिया गया है।

संकेत-1, खड़गे का राज्यसभा नेताप्रतिपक्ष से इस्तीफा

यह इस्तीफा खड़गे ने ऐसे दिया जैसे वे चुन ही लिए गए। सवाल ये उठता है कि खड़गे ने इस्तीफा क्यों दिया? बड़ी मासूमियत से बताया गया कि उदयपुर चिंतन शिविर में एक व्यक्ति एक पद का फॉर्मूला लागू हुआ है, इसलिए खड़गे ने इस्तीफा दिया। लेकिन यह तो तब लागू  होता जब खड़गे राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिए जाते। खड़गे तो 19 अक्टूबर तक एक ही पद पर हैं। वे दो पद पर हैं ही कहां? क्या कोई सांसद विधानसभा के उपचुनाव में प्रत्याशी बनते ही अपनी सांसदी छोड़ देता है? क्या कांग्रेस के लोग अब ऐसा करने जा रहे हैं? कतई नहीं करेंगे और न करना चाहिए। तब खड़गे ने राज्यसभा में नेताप्रतिपक्ष से इस्तीफा क्यों दिया?

संकेत-2, थरूर से कहा आप बेहतर समझें, खड़गे को दी शुभकामनाएं

शुरुआती दौर में जब शशि थरूर सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे तो  उनसे मैडम ने कहा आप बेहतर समझते हैं लड़ना है या नहीं? जबकि खड़गे मिलने गए तो उन्हें शुभकामनाएं मिली। जाहिर है सोनिया गांधी और परिवार की पसंद खड़गे हैं। हर पीसीसी को संदेश साफ हुआ। पहला संदेश राज्यसभा से इस्तीफा करवा कर दिया गया और दूसरा संदेश यहां शुभकामना और आप बेहतर समझें कहकर। यह स्पष्ट है कि परिवार खड़गे को चाहता है। ऐसे में थरूर कहें कि उनसे तो पीसीसी तक नहीं  मिलने आ रहे, बताता है कि माजरा क्या है?

तो क्या कांग्रेस में शशि भारी भी पड़ सकते हैं?

ऐसा नहीं है। मल्लिकार्जुन खड़गे वरिष्ठ नेता हैं। उनकी अपनी छाया कांग्रेस के अंदर थरूर की तुलना में व्यापक है। इसलिए यह कहना बिल्कुल ही ठीक नहीं कि थरूर उनपर भारी पड़ सकते हैं। चुनाव साफ-साफ देखे जा सकते हैं। खड़गे जीत रहे हैं, लेकिन थरूर अगर खड़गे से आधे वोट भी हासिल कर लेते हैैं तो माना जाएगा कि कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा परिवार को खारिज करने की हिम्मत जुटा चुका है। नतीजतन बाकी बचे समय में पार्टी की आंतरिक चुनौतियां और बढ़ जाएंगी। खड़गे जीत तो साफ-साफ रहे हैं, लेकिन थरूर उनके मुकाबले जितने ज्यादा वोट पाएंगे उतना पार्टी पर गांधी परिवार की पकड़ ढीली होगी, असल में गांधी परिवार को चिंता यह सता रही है।