नयी दिल्ली, 13 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने दो वरिष्ठतम जिला एवं सत्र न्यायाधीशों की उस याचिका पर सोमवार को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल से जवाब मांगा, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उच्च न्यायालय कॉलेजियम ने उच्च न्यायालय न्यायधीश पद के लिए नामों के चयन में उनकी योग्यता और वरिष्ठता पर विचार नहीं किया।
न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने दो जिला एवं सत्र न्यायाधीशों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार की इन दलीलों पर गौर किया कि उन न्यायिक अधिकारियों की ‘इन-सर्विस कोटा’ के तहत उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद के लिए सिफारिश की गई जो उनसे कनिष्ठ हैं।
याचिका चिराग भानु सिंह और अरविंद मल्होत्रा द्वारा दायर की गई थी, जो वर्तमान में राज्य में क्रमशः बिलासपुर और सोलन में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने न्यायधीश पद के लिए उनके नामों पर उच्च न्यायालय कॉलेजियम द्वारा विचार न करने का आरोप लगाया था।
वरिष्ठ वकील ने शीर्ष अदालत के 4 जनवरी, 2024 के एक कॉलेजियम प्रस्ताव और उसके बाद हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय को केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय के पत्र का हवाला दिया और कहा कि इनके अनुसार, याचिकाकर्ता न्यायिक अधिकारियों के नामों पर उच्च न्यायालय कॉलेजियम द्वारा विचार किया जाना चाहिए था।
दातार ने कहा, ‘याचिकाकर्ता राज्य के सबसे वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी हैं और उनका रिकॉर्ड बेदाग है।’
याचिका में उच्च न्यायालय न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नति के लिए उच्च न्यायालय कॉलेजियम द्वारा न्यायिक अधिकारियों की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाया गया और कहा गया कि उनकी योग्यता और वरिष्ठता को नजरअंदाज किया गया जबकि शीर्ष अदालत कॉलेजियम के प्रस्ताव में इस मुद्दे को विशेष रूप से संदर्भित किया गया है।
भाषा अमित नरेश
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