ओडिशा: प्रचार के लिए नेता आदिवासी इलाकों के साप्ताहिक ‘हाट बाजारों’ में जा रहे |

ओडिशा: प्रचार के लिए नेता आदिवासी इलाकों के साप्ताहिक ‘हाट बाजारों’ में जा रहे

ओडिशा: प्रचार के लिए नेता आदिवासी इलाकों के साप्ताहिक ‘हाट बाजारों’ में जा रहे

:   Modified Date:  May 9, 2024 / 01:17 PM IST, Published Date : May 9, 2024/1:17 pm IST

कोरापुट (ओडिशा), नौ मई (भाषा) नेता भी इस बात से वाकिफ हैं कि दूरदराज के इलाकों में प्रौद्योगिकी की पहुंच सीमित है। यही वजह है कि ओडिशा की कोरापुट और नबरंगपुर लोकसभा सीट पर लोगों तक पहुंच बनाने के लिए नेता साप्ताहिक ‘हाट्स’ यानी बाजार में प्रचार के लिए जा रहे हैं।

राज्य में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ ही होने हैं। इसके तहत पहले चरण में 13 मई को राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित दो लोकसभा सीटों और उनके तहत आने वाली विधानसभा सीटों पर मतदान होना है।

कोरापुट लोकसभा सीट से बीजू जनता दल (बीजद) की उम्मीदवार कौशल्या हिकाका ने कहा, ‘‘इस तरह के आदिवासी क्षेत्रों में हम सिर्फ अत्याधुनिक प्रचार तरीकों पर निर्भर नहीं रह सकते क्योंकि कई लोग गरीब और अशिक्षित या कम पढ़े-लिखे हैं और स्मार्टफोन या टेलीविजन तक उनकी पहुंच सीमित है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, आदिवासी गांव एक दूसरे से काफी दूर होते हैं लेकिन साप्ताहिक बाजार में लोग जरूर इकट्ठा होते हैं और यहां प्रचार करना भी आसान होता है।’’

निवर्तमान सांसद एवं कोरापुट के कांग्रेस उम्मीदवार सप्तगिरी उल्का ने लक्ष्मीपुर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार पवित्रा सौंता के साथ काकिरीगुमा साप्ताहिक बाजार में प्रचार किया।

उल्का ने कहा, ‘‘साप्ताहिक बाजार विभिन्न इलाकों से बड़ी संख्या में आने वाले लोगों से जुड़ने का बेहतर मौका देता है जिससे समय और धन दोनों की बचत होती है।’’

हर सप्ताह चुनिंदा दिनों में निश्चित स्थानों पर ‘हाट्स’ आयोजित किए जाते हैं और यहां स्थानीय लोगों की जरूरत का हर सामान आसानी मिल जाता है। इसके अलावा, यह आदिवासी समुदायों के भीतर सामाजिक-सांस्कृतिक संबंधों के लिए महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में भी काम करते हैं। ये बाजार अब राजनीतिक चर्चा का केंद्र बने हुए हैं।

इन बाजारों में अचानक नेताओं के पहुंचने से माहौल बिल्कुल बदल गया है। कोरापुट के लाठीकोटर गांव के निवासी हेमंत गौड़ा रनासपुर बाजार में नेताओं को देखकर हैरान हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि हमारा क्षेत्र दूरदराज इलाके में है इसीलिए किसी भी नेता ने हमारे गांव का दौरा नहीं किया है, लेकिन उन्हें बाजार में देखना हैरान करने वाला था… बाजार में माहौल अब पूरी तरह बदल गया है।’’

इसी तरह, कोरकुंडा के बाजार में आए भीम किरसानी ने कहा, ‘‘ साप्ताहिक बाजार में राजनीति को लेकर काफी चर्चाएं हो रही हैं और हम नेताओं के भाषण का आनंद ले रहे हैं।’’

जानकारी के अनुसार कोरापुट, रायगढ़, नबरंगपुर और मलकानगिरि जिलों में लगभग 200 बड़े और छोटे साप्ताहिक बाजार हैं।

भाषा खारी नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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