बरी किये जाने पर उच्च न्यायालय को पेश सभी साक्ष्यों का पुन: अवलोकन करना चाहिए:शीर्ष् अदालत |

बरी किये जाने पर उच्च न्यायालय को पेश सभी साक्ष्यों का पुन: अवलोकन करना चाहिए:शीर्ष् अदालत

बरी किये जाने पर उच्च न्यायालय को पेश सभी साक्ष्यों का पुन: अवलोकन करना चाहिए:शीर्ष् अदालत

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:18 PM IST, Published Date : January 18, 2022/8:46 pm IST

नयी दिल्ली, 18 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि किसी आपराधिक मामले में बरी किये जाने की स्थिति में प्रथम अपीलीय अदालत होने के नाते उच्च न्यायालय को मामले में पेश सभी साक्ष्यों और निचली अदालत द्वारा दिए गए कारणों का पुन: अवलोकन करना चाहिए।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करते हुए न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि उसका फैसला पूरी तरह त्रुटिपूर्ण है क्योंकि इसने स्थापित कानूनी स्थिति की अनदेखी की गई।

पीठ ने कहा, ”यह पाया गया कि उच्च न्यायालय ने पेश सभी साक्ष्यों पर चर्चा नहीं की अथवा पुन: अवलोकन नहीं किया। दरअसल, उच्च न्यायालय ने केवल गवाहों के बयान पर सामान्य टिप्पणियां की हैं। हालांकि, पेश किए गए सभी साक्ष्यों का विस्तार से पुन: अवलोकन नहीं किया गया, जोकि प्रथम अपीलीय अदालत होने के नाते उच्च न्यायालय द्वारा किया जाना चाहिए था।”

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश की एक महिला द्वारा दायर अपील पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें उसने भारतीय दंड संहिता और एससी/एसटी अधिनियम के तहत एक महिला पर हमला करने के अपराधों से आरोपी को बरी करने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था।

भाषा शफीक दिलीप

दिलीप

 

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