Political agitation increased in five states of the country

रिजल्ट से पहले यूपी से लेकर पंजाब तक बढ़ी सियासी हलचल, गठबंधन-जोड़तोड़ के लिए बिछ रही बिसात

रिजल्ट से पहले यूपी से लेकर पंजाब तक बढ़ी सियासी हलचलः Political agitation increased in five states of the country

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:58 PM IST, Published Date : March 7, 2022/5:05 pm IST

नई दिल्लीः देश के पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए आज आखिरी चरण की वोटिंग हो रही है। 10 को इन पांचों राज्यों में मतगणना शुरू हो जाएगी। इससे पहले अब इन राज्यों में अब सियासी हलचल बढ़ गई है। चुनाव लड़ रही तमाम पार्टियां अब जोड़तोड़ में लग गई है।

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उत्तराखंड विधानसभा चुनावों का परिणाम आने से पहले ही भाजपा नेताओं और रणनीतिकारों ने प्रदेश के संभावित चुनाव परिदृश्य को लेकर आपस में चर्चाओं का दौर शुरू कर दिया है। भाजपा रणनीतिकार कैलाश विजयवर्गीय ने रविवार को यहां पहुंचने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से उनके आवास पर भेंट की तथा 10 मार्च को आने वाले चुनाव परिणामों को लेकर विचार विमर्श किया। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक के साथ भी चर्चा की। इसके अलावा, उत्तराखंड मामलों के पार्टी प्रभारी प्रह्लाद जोशी तथा अन्य नेताओं के साथ भी विजयवर्गीय की एक महत्वपूर्ण बैठक होनी है। चुनाव परिणाम आने से पहले ही विजयवर्गीय के प्रदेश में आगमन के राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं और नेताओं के बीच बैठकों और विचार विमर्श के बढ़ते दौर को भाजपा के 36 सीटों के जादुई आंकड़े से दूर रहने की स्थिति में बहुमत जुटाने का फार्मूला निकालने का प्रयास माना जा रहा है। अगर चुनावी नतीजों में खंडित जनादेश सामने आया और कांग्रेस और भाजपा दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों में से किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो निर्दलीय तथा बसपा, सपा और उत्तराखंड क्रांति दल के ‘विधायकों’ की सरकार बनाने में भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी । चुनावों के दौरान सक्रिय रहे कई केंद्रीय नेताओं के एक—दो दिन में यहां पहुंचने की संभावना है, जिससे वे अंतिम क्षणों में पार्टी में होने वाली संभावित टूट—फूट पर नजर रख सकें और दल—बदल न हो सके। ‘संभावित’ सरकार बनाने की प्रक्रिया की निगरानी के लिए आ रहे कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं के लिए यहां राजपुर रोड स्थित एक होटल में कमरे बुक कराए जा चुके हैं।

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सबसे बड़े सूबे में बिछ रही सियासी बिसात
उत्तर प्रदेश में सात चरणों में चुनाव हुए हैं, पहले चरण की वोटिंग जहां पश्चिमी यूपी में 10 फरवरी को हुई थी वहीं 7 मार्च को सातवें और अंतिम चरण का मतदान पूर्वांचल के इलाके में हो रहा है। यूपी की सत्ता पर काबिज होने के लिए बीजेपी गठबंधन, सपा गठबंधन, बसपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला हुआ है। बीजेपी के साथ निषाद पार्टी और अपना दल (एस) हैं तो सपा के साथ आरएलडी, महान दल, सुभासपा, अपना दल (के) का गठबंधन है। ऐसे में सभी दल सूबे में सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन इसी बीच सियासी जोड़तोड़ की कवायद भी शुरू हो गई है।

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पंजाब में चल रही सियासी जुगाड़बाजी
पंजाब विधानसभा चुनाव के नतीजे पर सभी की निगाहें लगी हैं, क्योंकि पहली बार राज्य में चुनाव दो ध्रुवीय होने के बजाय पांच दलों के बीच है। ऐसे में चुनावी नतीजों से लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इन सबके बीच पंजाब कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर सिंह भट्टल के बयान से राजनीति गर्मा गई है। उन्होंने शनिवार को एक बार फिर दावा किया है कि अगर पंजाब में कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए आम आदमी पार्टी से एलायंस (गठबंधन) करने की जरूरत पड़ी तो करेंगे। हालांकि, राजिंदर सिंह भट्टल ने इसे अपनी निजी राय बताई थी, लेकिन गठबंधन के लिए आम आदमी पार्टी की ओर हाथ बढ़ाकर उन्होंने पंजाब में सियासी हलचल जरूर बढ़ा दी है।

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गोवा में क्या है सियासी बिसात
गोवा पर सभी की नजर लगी हुई है, क्योंकि यह राज्य जोड़तोड़ की सियासत के लिए जाना जाता है। 40 सीटों वाले गोवा में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है, लेकिन AAP, टीएमसी, एनसीपी, शिवसेना और एमजीपी ने जिस तरह से चुनाव लड़ा है, वैसे में गोवा के नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा सीटें जीती थी, लेकिन तब भी सरकार बीजेपी ने बना ली थी। बता दें कि 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने गोवा में 40 में से 17 सीटें जीती थीं और कांग्रेस का गोवा फॉरवर्ड पार्टी के साथ अनौपचारिक गठबंधन भी था, जिसने 3 सीटें जीतीं। इसके बाद भी बीजेपी 13 सीटें जीतकर सरकार बनाने में कामयाब रही थी। ऐसे में देखना है कि इस बार अगर किसी दल को बहुमत नहीं आता है तो ऐसे में जोड़तोड़ की सियासत तेज हो सकती है, जिसके लिए राजनीतिक हलचल है।